लोगों ने आईएसआई मुर्दाबाद के नारे लगाए
लाहौर.पाकिस्तान के रावलपिंडी स्थित सेना मुख्यालय के बाहर शनिवार देर रात भीड़ ने आईएसआई के विरोध में प्रदर्शन किया। मुख्यालय के बाहर भारी संख्या में जुटे लोगों ने आईएसआई मुर्दाबाद के नारे भी लगाए। दरअसल, कई खबरों में दावा किया गया है कि इस साल भी देश के आम चुनावों में खुफिया एजेंसी आईएसआई का दखल है। एक दिन पहले ही इस्लामाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शौकत सिद्दीकी ने आईएसआई पर न्यायिक मामलों में दखल देने का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि खुफिया एजेंसी देश के चीफ जस्टिस समेत कई अन्य जजों पर अपने अनुकूल फैसले देने का दबाव बना रही है। जस्टिस शौकत ने ये आरोप रावलपिंडी बार एसोसिएशन की एक मीटिंग के दौरान लगाए। उन्होंने कहा, “आज न्यायालय और मीडिया दोनों ही बंदूकवालों (सेना) के नियंत्रण में है। न्यायालय आजाद नहीं। यहां तक की मीडिया को भी सेना से ही निर्देश मिल रहे हैं। मीडिया सच्चाई नहीं बोल रही, क्योंकि उस पर दबाव है। साथ ही इसमें कुछ और लोगों के अपने हित भी शामिल हैं।
अपने हिसाब से जजों की बेंच चुन रही आईएसआई :
शौकत दावा किया, “अलग-अलग मामलों में आईएसआई अपने हिसाब से जजों की बेंच बनाती है ताकि मामलों में फैसले भी उसे अपने हिसाब से ही मिल सकें। आईएसआई ने चीफ जस्टिस से कह दिया है कि नवाज शरीफ और मरियम 25 जुलाई को चुनाव से पहले जेल से बाहर नहीं आने चाहिए। इसके अलावा एजेंसी ने मुझे भी नवाज शरीफ के मामलों की सुनवाई करने वाली बेंच में शामिल नहीं करने के लिए कहा है। चीफ जस्टिस ने भी आईएसआई को उनकी मर्जी की बेंच बनाने का आश्वासन दिया है।” मुझे भी दिया था चीफ जस्टिस बनाने का ऑफर :जस्टिस शौकत सिद्दीकी ने कहा, “आईएसआई ने मुझे पेशकश की थी कि अगर मैं उनके साथ सहयोग करूंगा तो वो मेरे खिलाफ चल रहे एक मामले को वापस ले लेंगे और जल्द ही चीफ जस्टिस बना देंगे, लेकिन मैंने उनकी पेशकश ठुकरा दी, क्योंकि अपने जमीर को बेचने से मरना ज्यादा बेहतर है। जस्टिस ने कहा कि न्यायालय और मीडिया लोगों की अंतरआत्मा की आवाज हैं। अगर उनकी आजादी के साथ खिलवाड़ किया गया तो पाकिस्तान कभी आजाद देश नहीं रह पाएगा।