रांची। झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन तक हंगामा चलता रहा। शनिवार को मुख्यमंत्री रघुवर दास और प्रतिपक्ष के नेता हेमंंत सोरेन के बीच तीखी नोक झोंक हुई। दोनों ने एक दूसरे पर व्यंग बाण चलाए और आरोप भी लगाया। यह तब हुआ जब पहली पाली में विपक्ष द्वारा राज्य के स्कूलों के मर्जर का विरोध करते हुए इस पर दलील दी जा रही थी। इसी क्रम में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच काफी टोका-टोकी हुई और दोनों पक्षों ने शोर किया। हंगामा तब ज्यादा होने लगा, जब प्रतिपक्ष के नेता ने इशारों ही इशारों में मुख्यमंत्री की तुलना गजनी से कर दी। इसके बाद मुख्यमंत्री ने भी अपनी बात रखी।

जिसने राज्य को लूटा, वह व्यक्ति जल, जंगल और जमीन की बात करता है: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि जिसने इस राज्य को लूटा, सबसे ज्यादा सीएनटी-एसपीटी एक्ट का उल्लंघन किया। वह व्यक्ति राज्य की जल, जंगल और जमीन की बात करता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक-एक दिन में जमीन की 33 रजिस्ट्री कराया है। लेकिन मेरा झारखंड में एक घर को छोड़कर बता दे कि कोई और घर भी है क्या। इसी क्रम में झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने मुख्यमंत्री की बातों पर आपत्ति जताई। शालीनता से बोलने को कहा। इससे मुख्यमंत्री ने प्रदीप यादव की ओर देखते हुए कहा, तुम हमको शालीनता सिखाओगे, चुपचाप अपनी सीट पर बैठो। इसके बाद प्रदीप यादव अपनी सीट पर बैठ गए। मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद विपक्ष ने ज्यादा शोर गुल मचाना शुरू कर दिया।

आपके दादा-परदादा यहां जमीन लूट रहे थे: हेमंत सोरेन

प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि हमारा जमीन क्या हम ही लूटेंगे। मुख्यमंत्री की ओर इशारा करते हुए कहा कि आपके दादा-परदादा यहां जमीन लूट रहे थे। इसके पूर्व स्कूलों के मर्जर को लेकर चल रहे बहस के दौरान हेमंत ने कहा कि जिस प्रकार से दूसरे देश से आकर गजनी ने यहां के मंदिरों को लूटा और सारा धन ले गया था, वैसे ही मुख्यमंत्री राज्य को बर्बाद करके ही जाएंगे। प्रवासी मुख्यमंत्री निर्णय ले रहे हैं और सदन चुपचाप हैं। स्कूलों को बंद करके मूलवासी और आदिवासी के हाथ से कलम छिना जा रहा है। कहा कि उनका दो सौ प्रतिशत दावा है कि सरकार स्कूलों का मर्जर कर इसे प्राइवेटाइजेशन की ओर ले जाने का प्रयास कर रही है। इसमें षड़यंत्र की बू आ रही है। यहां आईआईएम तो खुला लेकिन स्थानीय बच्चे उसमें नहीं पढ़ रहे। यह दूसरे राज्य के लिए प्रवेश द्वार है।

विपक्ष जनता को गुमराह कर रहा: नीलकंठ सिंह मुंडा

संसदीय कार्यमंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि झारखंड को किसने लूटा है, यह किसी से छिपा नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री की तुलना गजनी से किए जाने पर विरोध करते हुए इसकी इसकी निंदा की। कहा कि, प्रतिपक्ष के नेता ने जिस प्रकार से सीएम को इशारों में कहा है कि विदेश से एक डकैत आया और देश को लूट कर चला गया, यह निंदनीय है। मुख्यमंत्री का जन्म और कर्म स्थल कहां है, इसकी जानकारी उन्हें होनी चाहिए। विपक्ष जनता को गुमराह कर रहा है।

स्पीकर के निशाने पर आए बाउरी और सीपी सिंह, बाउरी ने जताया खेद

सदन में स्कूलों के मर्जर पर चल रही बहस के दौरान ही मंत्री अमर बाउरी और सीपी सिंह स्पीकर डॉ. दिनेश उरांव के निशाने पर आ गए। अमर बाउरी का एक यह कमेंट स्पीकर को अच्छा नहीं लगा कि तीन नेताओं की नेतागिरी चमकाई जा रही है। जबकि मंत्री सीपी सिंह द्वारा सदन के संचालन की प्रक्रिया पर सवाल उठा दिया गया। इसके बाद स्पीकर ने दोनों नेताओं को निशाने पर रखकर खूब सुनाया।
जब हम बोलने लगेंगे तो दिक्कत हो जाएगी। स्कूलों के मर्जर पर बहस के दौरान ही मंत्री अमर बाउरी ने अपनी सीट से बैठे-बैठे ही बोल दिया कि तीन लोगों की नेतागिरी चमकाई जा रही है। यह बात स्पीकर की कानों तक पहुंच गई। उन्होंने तत्काल बहस रोक कर मंत्री अमर बाउरी से कहा कि वे खड़े हो जाएं। मंत्री के खड़ा होने पर स्पीकर ने कहा, इसमें नेतागिरी की बात नहीं है। हम सोच समझकर बोलते हैं और जब हम बोलने लगेंगे तो दिक्कत हो जाएगी। यदि लगता है कि तीन लोगों को चमकाया जा रहा है तो कहिए तो हम आसन छोड़ देते हैं। स्पीकर का कड़ा तेवर देखकर कर मंत्री बाउरी ने तत्काल खेद जताया।

अगर नियमावली का अक्षरश: पालन करेंगे तो यहां किसी भी सदस्य की बात नियमत:नहीं आएगी

इधर, सीपी सिंह ने स्कूलों के मर्जर पर पर हो रही बहस और सदन के संचालन पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि आखिर विधानसभा के किस कार्य संचालन नियमावली के तहत सदन चलाया जा रहा है। कहा कि वह भी साढ़े तीन साल स्पीकर रह चुके हैं। अगर ऐसे ही बहस कराना है तो नियमावली की क्या जरूरत है। 11 से 12 बजे तक प्रश्नकाल का समय है। बिहार में भी ऐसा ही होता है। नियम में कोई बदलाव नहीं हुआ है लेकिन अभी डिबेट चल रहा है। अगर विषय इतना ही महत्व का है तो किसी दिन भी दूसरी पाली में बहस हो सकती थी। इसके बाद ही स्पीकर ने कहा कि अगर नियमावली का अक्षरश: पालन करेंगे तो यहां किसी भी सदस्य की बात नियमत:नहीं आएगी।
जनता ही पंच परमेश्वर है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की जनता हमें विजयी बनाकर भेजती है तो चाहती है कि सदन में उसके सवालों का समाधान निकले। लेकिन यहां तो व्यर्थ समय बीत जाता है। सदन में जो भी होता है उसे जनता देख रही है। उन्हें भी देख रही है। जनता ही पंच परमेश्वर है। आने वाले चुनाव में सभी लोग देखेंगे कि क्या होने वाला है। उनके काम को भी जनता देखेगी। यदि आसन पर विश्वास है तो उसका सम्मान भी करें। स्पीकर का आसन कोई उनकी जागीर नहीं है। वह इस पर जबरदस्ती नहीं बैठे हैं। सभी ने चुना है तब वह आसन पर बैठे हैं।

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