अजय शर्मा
रांची। उग्रवादग्रस्त झारखंड में अब एक नया घोटाला सामने आया है। उग्रवादी हिंसा के शिकार परिवारों को मिलने वाली सहायता राशि में गड़बड़ी की गयी है। राज्य बनने के बाद से 14 वर्षों तक मुआवजा भुगतान में गड़बड़ी के आरोप लगे हैं। रघुवर सरकार ने इसे पकड़ा है। अब इसकी जांच शुरू कर दी गयी है। कई जिलों के उपायुक्त तो इसकी रिपोर्ट भी सौंप चुके हैं। गुमला के डीसी ने जो रिपोर्ट सरकार को भेजी है, उसमें पीड़ितों का नाम नहीं है। लिहाजा 17 जुलाई को गुमला डीसी को एक पत्र भेजा गया है, जिसमें नये सिरे से जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश है। इस तरह की गड़बड़ी के आरोप कई अन्य जिलों में भी लगे हैं।
गुमला डीसी को लिखा गया पत्र
सरकार की ओर से 18 जुलाई को गुमला के उपायुक्त को एक पत्र भेजा गया है, जिसमें कहा गया है कि उग्रवादी हिंसा में मारे गये नागरिकों के आश्रितों को अनुदान राशि के भुगतान में की गयी अनियमितता की सही-सही जांच की जाये। डीसी ने एक जांच रिपोर्ट भेजी है, जिससे विभाग संतुष्ट नहीं है। पत्र में कहा गया है कि मृतक का नाम, मृत्यु की तिथि और कितनी राशि का भुगतान किया गया है, इसकी पूरी जानकारी दी जाये।
14 सौ लोगों की हुई है मौत
झारखंड बनने के बाद विभिन्न उग्रवादी संगठनों द्वारा 14 सौ लोगों की हत्या की गयी है। इसमें कई चर्चित नरसंहार भी हैं। गिरिडीह के भेलवा घाटी, हजारीबाग में बेलतू, गरई कला, जमशेदपुर के घाटशिला में भी नरसंहार हुआ था। सरकारी प्रावधान के मुताबिक नक्सली हिंसा में मारे गये पीड़ित के परिवार को एक लाख रुपये राज्य सरकार और तीन लाख रुपये भारत सरकार की तरफ से मिलते हैं। एक सदस्य को नौकरी भी दी जाती है। आम नागरिकों के अलावा करीब पांच सौ पुलिस अधिकारी और जवान भी नक्सली हिंसा में मारे गये हैं। गड़बड़ी आम नागरिकों को मिलने वाले मुआवजा के भुगतान में की गयी है। इस गड़बड़ी का पता पहले भी चला था, लेकिन अब रघुवर दास सरकार ने पूरे मामले की दोबारा जांच कराने के आदेश दिये हैं। इस घोटाले में कई अधिकारियों की गर्दन फंसने की संभावना है।