पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी तनाव भले ही कम होता दिख रहा हो, लेकिन भारतीय सेना अपनी ताकत में इजाफा करने के काम में जुटी है। भारतीय सेना ने अमेरिका से 1.42 लाख सिग-716 असॉल्ट राइफलों के बाद अब इजरायल से एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल और हेरॉन ड्रोन खरीदने का ऑर्डर दे रही है। एयरफोर्स के प्रोजेक्ट चीता के तहत मौजूदा बेड़े को लड़ाकू यूएवी में अपग्रेड करने पर भी काम हो रहा है। डीआरडीओ भी पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेट मिसाइल विकसित कर रहा जिससे 50 हजार मिसाइलों की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा।
पिछले साल बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद इजरायल से स्पाइक एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल की एक खेप भारत को मिली थी। तीनों सेनाएं पहले से ही लद्दाख सेक्टर में सर्विलांस के लिए हेरॉन अनमैन्ड एरियल व्हीकल (यूएवी) का इस्तेमाल कर रही है जो एक बार में दो दिन तक उड़ सकता है। अब भारतीय सेना हेरॉन ड्रोन के आर्म्ड वर्जन को अपने बेड़े में शामिल करने की दिशा में काम रही है। चीन से तनाव बढ़ने और गलवान घाटी में 15 जून को 20 भारतीय सैनिकों की शहादत के बाद केंद्र सरकार ने तीनों सेनाओं के लिए 500 करोड़ रुपये का इमरेंजसी फंड जारी किया था। इसी फंड से सेनाओं की सर्विलांस क्षमता के साथ ही हमला करने की ताकत में इजाफा किया जा रहा है। यही वजह है कि अमेरिका से 72 हजार असॉल्ट राइफल खरीदने के साथ ही अब भारतीय सेना इजरायल से हेरॉन ड्रोन और स्पाइक एंटी गाइडेड मिसाइल भी खरीदेगी।
सरकार से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि मौजूदा हालात को देखते हुए हेरॉन ड्रोन की संख्या बढ़ाए जाने की जरूरत है। खासतौर पर एयरफोर्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए इसे खरीदा जाना जरूरी है। हालांकि, इजरायल से कितने हेरॉन ड्रोन खरीदे जाएंगे, इसकी संख्या का पता नहीं चला है। इधर, एयरफोर्स हेरॉन के आर्म्ड वर्जन पर काम कर रही है। हेरॉन ड्रोन 10 किमी की ऊंचाई से दुश्मन पर नजर रख सकता है। यह एक बार में दो दिन तक उड़ सकता है और 10 किलोमीटर की ऊंचाई से दुश्मन की हर हरकत पर नजर रख सकता है।
बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद पिछले साल सेना को 12 लॉन्चर और 200 स्पाइक मिसाइलें मिलीं थीं। चीन से तनाव बढ़ने के बाद भारतीय सेना दुश्मन की आर्म्ड रेजिमेंट के खतरे से निपटने के लिए बड़ी संख्या में स्पाइक मिसाइल लेने की प्लानिंग कर रही है। इस बीच, डीआरडीओ भी देसी पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेट मिसाइल विकसित करने का काम कर रहा है। इसके जरिए इंफेंट्री यूनिट्स की ऐसी 50 हजार मिसाइलों की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा। इसके अलावा एलएसी पर तनाव के चलते सेना की तरफ से पहले ही स्पाइस-2000 बम, असॉल्ट राइफल और मिसाइल खरीदे जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।