दिल्ली हाई कोर्ट ने नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बैंगलोर (एनएलएसआईयू) में दाखिले के लिए कर्नाटक के छात्रों को आरक्षण वाले प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि यूनिवर्सिटी बैंगलोर में है और कर्नाटक सरकार ने कानून बनाया है ऐसे में दिल्ली हाई कोर्ट का क्षेत्राधिकार नहीं बनता है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को उचित फोरम पर अपनी बात रखने की अनुमति दे दी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप दिल्ली में क्या कर रहे हैं, ये कर्नाटक के कानून का मामला है। आप दिल्ली में रहते हैं, इसलिए आप यहां के हाई कोर्ट के क्षेत्राधिकार का उपयोग नहीं कर सकते हैं। आपने कई उन निकायों को पक्षकार बनाया है जिनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है।
याचिका शुभम कुमार झा ने दायर की थी। याचिकाकर्ता की ओर से वकील शदान फरासत ने कहा कि एनएलएसआईयू में दाखिले के लिए कर्नाटक के छात्रों को 25 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है। कर्नाटक के राज्यपाल ने पिछली 4 मई को इस कानून पर अपना हस्ताक्षर किया था। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता दिल्ली में रहता है और वो क्लैट 2020 के लिए आवेदन कर रहा है। एनएलएसआईयू केवल कर्नाटक में ही परीक्षा आयोजित नहीं करती है बल्कि वह पूरे देश में परीक्षा आयोजित करती है। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलील को खारिज कर दी।
पिछले 29 जून को दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली के नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए दिल्ली के संस्थान से पढ़े हुए छात्रों को दाखिले में 50 फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर रोक लगा दी थी। जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने युनिवर्सिटी को आदेश दिया कि एलएलबी और एलएलएम में दाखिले के लिए पहले से चले आ रहे प्रावधान ही लागू होंगे।
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