नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी के दौरान घर लौटे प्रवासी श्रमिकों के बच्चों की शिक्षा को सुचारु रखने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उनका डेटाबेस तैयार करने का निर्देश दिया है। इतना ही नहीं ऐसे बच्चों को बिना दस्तावेजों के गांव के स्कूलों में ही दाखिला देना होगा।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने मंगलवार को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को जारी दिशा-निर्देश में कहा है कि राज्यों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि कोरोना महामारी के दौरान अपने-अपने गांवों की तरफ लौटे विद्यार्थियों का स्कूलों से नाम न काटा जाए। मंत्रालय ने कहा है कि राज्य ऐसे बच्चों का डाटा बैंक तैयार करें जो दूसरे राज्यों से या उसी राज्य के दूसरे हिस्से से कहीं और चले गए। ऐसे बच्चों को डाटा बैंक में ‘प्रवासी’ या ‘अस्थायी तौर पर अनुपलब्ध’ के रूप में दर्ज किया जायेगा।
इस तरह का एक डेटाबेस प्रत्येक स्कूल द्वारा फोन, व्हाट्सएप, पड़ोसियों या सहकर्मी समूहों के माध्यम से अपने स्कूल में पढ़ने वाले सभी बच्चों के माता-पिता या अभिभावकों से व्यक्तिगत रूप से संपर्क करके तैयार किया जा सकता है। इस अवधि के दौरान उनके रहने का स्थान भी नोट किया जा सकता है। हालांकि यह सुनिश्चित करने के समय यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि उनके नाम नहीं काटे गये हैं जैसा कि उनकी वापसी की संभावना हमेशा रहती है।
एचआरडी मंत्रालय ने अपने दिशा-निर्देशों में कहा है कि स्कूल द्वारा मिड-डे मील, पाठ्यपुस्तकों का वितरण और यदि पहले से ही पूरा नहीं किया गया है तो उपयोग किया जाएगा।