भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में मंगलवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने आरपति गौतम नवलखा को 22 जुलाई तक के लिए एनआईए की कस्टडी में दे दिया है। एनआईए कोर्ट के न्यायाधीश दिनेश कोथलीकर ने नवलखा के वकील व सरकारी वकील अनिल सिंह की बहस सुनने के बाद आरोपित को एनआई कस्टडी में सौपने का आदेश दिया।
नवलखा ने इसी साल 14 अप्रैल को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के समक्ष समर्पण किया था। वह नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं। उसे 29 अगस्त से एक अक्टूबर 2018 तक नजरबंद भी रखा गया था। नवलखा की तरफ से पैरवी करते हुए उसके वकील ने आग्रह किया कि जांच की अवधि में उनके मुवक्किल को नजरबंद करने पर विचार किया जाना चाहिए। लेकिन एनआईए की तरफ से पेश वकील अनिल सिंह ने कहा कि गौतम नवलखा की जमानत की याचिका विचार के योग्य नहीं है। अनिल सिंह ने न्यायाधीश से गौतम नवलखा को एनआईए की कस्टडी में देने की मांग की। इसके बाद न्यायाधीश दिनेश कोथलीकर ने नवलखा को एनआईए की कस्टडी में भेज दिया।
नवलखा के वकील ने रविवार को एलगार परिषद मामले के आरोपित गौतम नवलखा की जमानत की अर्जी खारिज कर दी थी। नवलखा ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 167 के तहत यह कहते हुए जमानत मांगी थी कि वह 90 दिनों से ज्यादा की अवधि से हिरासत में है।
उल्लेखनीय है कि 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में एलगार परिषद का आयोजन किया गया था। इसके एक दिन बाद भीमा कोरेगांव विजय जुलूश के दौरान हिंसा हो गई थी। पुणे पुलिस ने नक्सलियों से संबंध रखने तथा हिंसा भडक़ने समेत अन्य आरोपों के तहत गौतम नवलखा के विरुद्ध मामला दर्ज किया है। इस मामले की जांच एनआईए कर रहा है।