आज भारत के लिए और इसके 130 करोड़ लोगों के लिए गौरव का दिन है। पिछले 18 दिन से अपने 20 जांबाजों की शहादत से गुस्से में उबल रहे देश की छाती को आज तीन जुलाई को उस समय बड़ा सरप्राइज मिला, जब प्रधानमंत्री खुद सीमा की रक्षा में जुटे मां भारती के सपूतों से मिलने लेह पहुंच गये। प्रधानमंत्री ने देश को जहां बड़ा सरप्राइज दिया है, वहीं दुश्मनों को साफ चेतावनी दे दी है कि यह नया भारत है, जो किसी की हेकड़ी को बर्दाश्त नहीं करेगा। गीदड़भभकियों का जमाना अब लद गया। अब भारत अपनी तरफ आंख उठानेवालों को उसी तेवर और उसी अंदाज में मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। प्रधानमंत्री ने यह यात्रा क्यों की और इससे क्या हासिल होगा, अब ये सवाल गौण हो चुके हैं। आज पूरा देश एक नये उत्साह से भरा हुआ है और प्रधानमंत्री की इस एक यात्रा ने दुनिया के सीने पर भारत के तिरंगे को शान से लहरा दिया है। प्रधानमंत्री की यात्रा सीमा पर जारी तनाव के बीच भारत के लिए बड़ी मनोवैज्ञानिक और कूटनीतिक जीत मानी जा रही है, जिसका उदाहर चीन की बौखलाहट भरी बौखलाहट भरी प्रतिक्रिया से सामने आयी है। हाल के दिनों में प्रधानमंत्री ने सीमा पर तनाव के दौरान जिस आत्मविश्वास और भारत के मजबूत मनोबल का परिचय दिया है, उसकी कड़ी में उनकी यह यात्रा एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित होगी। प्रधानमंत्री की लेह यात्रा और इसके पीछे छिपे संकेतों का आकलन करती आजाद सिपाही की विशेष पेशकश।
तीन जुलाई को जब 130 करोड़ लोगों का भारत मानसून की रिमझिम बारिश और उमस भरी सुबह के साथ जगा, तो उसकी आंखें उनींदी नहीं थीं, बल्कि उनमें एक सुकून था, गर्व का भाव था, क्योंकि देश का प्रधानमंत्री देश की सरहदों की हिफाजत में जुटे मां भारती के जांबाज सपूतों के बीच पहुंच चुका था। देश की उत्तरी सीमा पर समुद्र तल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर लेह के नीमू में सुबह की चाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों के साथ पी। यह कोई साधारण दौरा नहीं था, बल्कि यह उस नये भारत के संकल्प का मुजाहिरा था, जिसने हमारे दुश्मनों की आंखों की नींद उड़ा दी।
पिछले 18 दिन से पूरा देश गलवान घाटी में अपने 20 जांबाजों की शहादत से उबल रहा था और चीन को सबक सिखाने के लिए तैयार दिख रहा था। प्रधानमंत्री ने अचानक लेह जाकर दुनिया को दिखा दिया कि यह नया भारत है, जो किसी की हेकड़ी और तिरछी नजर को बर्दाश्त नहीं करेगा। सैनिकों के साथ बातचीत में उन्होंने कहा भी कि भारत हमेशा शांतिपूर्ण सह अस्तित्व का हिमायती है, लेकिन अपनी ओर नजर उठानेवालों की आंख निकालने की ताकत और हिम्मत भी रखता है। प्रधानमंत्री का अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों ने जिस गर्मजोशी और उत्साह से स्वागत किया, उससे साफ हो गया है कि जब तक सरहद पर हमारा एक भी जांबाज मौजूद है, हमारी तरफ उठनेवाली हर आंख को माकूल जवाब मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस यात्रा के कई संकेत हैं। गलवान घाटी में 15-16 जून की रात हुई हिंसक झड़प के बाद से भारत ने लगातार साबित किया है कि वह किसी की हेकड़ी बर्दाश्त नहीं करेगा। चाहे सीमा पर सेना की तैनाती हो या अत्याधुनिक मिसाइल सिस्टम लगाने की बात हो, वायुसैनिक अड्डों को सक्रिय करने का सवाल हो या हथियार और गोला-बारूद खरीदना हो, सरकार ने सेना को खुली छूट दे रखी है। इतना ही नहीं, सेनाध्यक्षों का लेह-लद्दाख का दौरा भी भारत के स्टैंड को साफ करता है। इन सैन्य तैयारियों के साथ-साथ भारत ने अपने शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के रास्ते को भी नहीं छोड़ा है। भारत की यही खासियत उसे दुनिया में अनूठा स्थान दिलाती है। इसलिए प्रधानमंत्री की लेह यात्रा भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत कही जा सकती है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने अग्रिम मोर्चे पर जाकर चीन और पाकिस्तान पर बड़ा मनोवैज्ञानिक प्रहार किया है। कहा जाता है कि 21वीं सदी का युद्ध पारंपरिक हथियारों से नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक तरीके से लड़ा जाता है। इस मायने में यह यात्रा भारत की जयघोष का प्रतीक है। चीन जहां आज तक गलवान घाटी में मारे गये अपने सैनिकों की तादाद बताने की स्थिति में भी नहीं आया है, भारत ने पहले उस पर आर्थिक प्रहार कर उसे बैकफुट पर ला दिया है। इसके बाद चीन के 59 एप पर प्रतिबंध लगा कर भारत ने ऐसी डिजिटल स्ट्राइक की कि वहां खलबली मच गयी है। अब प्रधानमंत्री ने अग्रिम मोर्चे पर जाकर चीन को यह साफ संदेश दे दिया है कि वह अपनी औकात में रहे। उसने यदि भारत को छेड़ने की कोशिश की, तो उसे छोड़ा नहीं जायेगा। प्रधानमंत्री की इस यात्रा ने कूटनीतिक रूप से भारत को दुनिया का सबसे मजबूत देश साबित कर दिया है। चीन भले ही सामरिक दृष्टि से भारत के मुकाबले अच्छी स्थिति में है, लेकिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र ने साबित कर दिया है कि अपनी जमीन की सुरक्षा उसे करनी आती है और वह हर कीमत पर करेगा। अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, रूस और चीन भले ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हों, लेकिन भारत ने भी साबित कर दिखाया है कि दुनिया के छोटे मुल्कों का कितना बड़ा समर्थन उसे हासिल है। पाकिस्तान और नेपाल के कंधों की मदद लेकर चीन भले ही अपनी कुटिल नीतियों में कुछ क्षण के लिए सफल होता दिख जाये, लेकिन उसके बाद के परिणामों ने उसे हमेशा चौंकाया है। आज पूरा भारत अपने जांबाज सैनिकों के साथ खड़ा है, अपनी सरकार के साथ खड़ा है और ऐसे में प्रधानमंत्री की लेह यात्रा ने भारत की सैन्य तैयारियों में नया जोश पैदा कर दिया है, इसमें किसी को संदेह नहीं होना चाहिए।
भारत ने दुनिया को हमेशा शांति का संदेश दिया है। हमने दुनिया को सिखाया है कि संकट से कैसे पार पाया जा सकता है। लेकिन प्रधानमंत्री की यात्रा ने यह संदेश भी दिया है कि भारत एकजुटता के साथ अपने वीर सैनिकों के साथ खड़ा है और यह तैयारी चाहे युद्ध की हो या शांति की, हमेशा बनी रहती है।