दिल्ली उच्च न्यायालय ने योग गुरु रामदेव से एलोपैथी के संबंध में दिये गए उनके बयानों के खिलाफ दाखिल याचिका पर उन्हें एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति हरि शंकर ने स्पष्ट किया कि रामदेव को जवाब नहीं मिलने की स्थिति में वह इस मामले में कार्यवाही शुरू करने की अनुमति नहीं देंगे।

याचिकाकर्ता चिकित्सक संघों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अखिल सिब्बल ने तर्क दिया कि मुकदमा दायर करने की अनुमति देने के लिए, अदालत को केवल उसके समक्ष याचिका को देखना होता है और दूसरे पक्ष के जवाब की आवश्यकता नहीं होती। अदालत ने रामदेव की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर को जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया और कहा कि यदि मुकदमा शुरू करने की अनुमति दी जाती है तो (रामदेव) इसके खिलाफ याचिका दाखिल कर कर सकते हैं। हम अगले सप्ताह इसपर विचार करेंगे। उन्हें जवाब दाखिल करने दीजिए।

 

मामले की अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी। अदालत के समक्ष तीन रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशनों ने यह याचिका दाखिल की है। उन्होंने आरोप लगाया कि रामदेव ने बड़े पैमाने पर लोगों को गुमराह किया और गलत तरीके से यह कहा कि कि एलोपैथी चिकित्सा पद्धति कोविड ​​​​-19 से संक्रमित कई लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार है। साथ ही आरोप है कि उन्होंने कहा था एलोपैथिक डॉक्टर मरीजों की मौत का कारण बन रहे हैं।

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