हिंदू धर्म में सावन मास का ख़ास महत्व है. सावन का महीना विशेष रूप से भगवान शंकर को समर्पित होता है. इस माह का भगवान शिव के भक्तों को बहुत दिनों से इंतजार रहता है. धार्मिक मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा करने से वे अपने भक्तों पर बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं और उन्हें मनवांछित वरदान देते है.

 

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, सावन का महीना 5वां महीना है. यह आषाढ़ मास की पूर्णिमा के तुरंत बाद से शुरू होता है. साल 2021 में आषाढ़ की पूर्णिमा 24 जुलाई को होगी उसके बाद 25 जुलाई दिन रविवार से सावन का महीना शुरू हो जाएगा, जो कि 22 अगस्त दिन रविवार को समाप्त होगा. इस दौरान भगवान शिव की पूजा विशेष फलदायी होता है. इस मास में शिव का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक किया जाता है. इससे भगवान महादेव अपने भक्तों के सभी कष्ट दूर करते हैं.

 

धर्म शास्त्रों में भी सावन मास के महत्व का जिक्र मिलता है. पावन श्रावण मास में भगवान शिव और उनके परिवार की विधिपूर्वक पूजा करने का विधान है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन माह में भगवान शिव का अभिषेक करना बहुत ही फलदायी होता है, इसलिए सावन में लोग रुद्राभिषेक कराते हैं. शिव की आराधना के लिए सावन का महीना सबसे उत्तम माह माना गया है.

 

कहा जाता है कि इस महीने में भगवान शिव की पूजा करने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैंऔर भक्तों के मनोरथ पूरा करते हैं. उन्हें धन-दौलत, मान-सम्मान एवं पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं. इसके साथ ही सोमवार के व्रत का फल शीघ्र मिलता है.माना जाता है कि सावन मास में भगवान शंकर की पूजा से विवाह आदि में आ रही सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती है. जिन पर शनि का दोष हो इनका शनि दोष ख़त्म हो जाता है.

 

सावन मास में सुबह जल्दी स्नान आदि से निवृत्त होकर घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. उसके बाद शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर गंगा जल और दूध के साथ धतूरा, बेलपत्र, पुष्प, गन्ना आदि अर्पित करें. ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें. अब धूप दीप से आरती करें.

 

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