मासूमों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने की है जरूरत
राहुल सिंह
कोरोना महामारी ने लाखों लोगों की जिंदगियां छिन लीं। कितनों के अपने चले गये, तो कितनों का परिवार उजड़ गया। लेकिन इस महामारी का सबसे बुरा असर उन छोटे-छोटे बच्चों पर पड़ा है, जो इस काल में बेसहारा और अनाथ हो गये। माना कि कोरोना महामारी के कारण आज सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि पूरा विश्व संकट में है और इस संकट से हम आज नहीं तो कल उबर ही जायेंगे, लेकिन उन बच्चों का क्या, जो अपने आने वाले कल की कल्पना भी करने में समर्थ नही हैं। उनमें से कई ऐसे हैं, जिन्हें तो यह भी नहीं पता की संकट किस चिड़िया का नाम है। पेट की भूख क्या होती है। मां का प्यार और पिता का साथ क्या होता है। उन्होंने तो बस अभी हंसना और खिलखिलाना ही सिखा था। अभी उनके पैरों को इतनी ताकत भी नहीं मिली थी कि वे दो कदम चल सकें और विडंबना देखिये कि जिनके सहारे वे दो कदम चलते उनका भी साथ उनसे छूट गया। अब वक्त है इन्हें सहारा देने का, वक्त है इनके चेहरे पर मुस्कान लाने का, वक्त है इनके कदम को आगे बढ़ाने का। यही वक्त है केंद्र और राज्य की राजनीति से ऊपर उठ कर मानवता की राजनीति करने का। यूपी सरकार ने तो इन नन्हे कदमों की ओर कदम बढ़ा लिया है। अब जरूरत है सभी को कदम बढ़ाने की।
कोरोना काल में बेसहारा और अनाथ हुए बच्चों को अब दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना भी मुश्किल हो रहा है। सिर से माता-पिता का साया छिनने के बाद अनाथ बच्चों के सामने काफी चुनौतियां आ गयी है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बच्चों की पीड़ा को देखते हुए अपना हाथ आगे बढ़ाया है। अनाथ बच्चों के लिए यूपी सरकार ने ‘मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना’ की शुरूआत की है, जो काबिले तारीफ है।
लखनऊ के लोकभवन में गुरुवार को इस योजना का शुभारंभ किया गया। इस कार्यक्रम में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी मौजूद थीं। सीएम बाल सेवा योजना के तहत 4050 बच्चों को लाभ मिलेगा। इसके तहत बच्चों को हर महीने आर्थिक मदद, मुफ्त शिक्षा, शादी में आर्थिक मदद जैसी कई सुविधाएं मिलेंगी।
हर महीने चार हजार की आर्थिक मदद
कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को जीवन यापन करना काफी मुश्किल हो गया है। इसलिए सरकार सीएम बाल सेवा योजना के तहत 0 से 18 तक की उम्र वाले सभी अनाथ बच्चों के भरण-पोषण के लिए हर महीने 4 हजार रुपये की आर्थिक मदद देगी।
पढ़ाई का खर्चा उठायेगी सरकार
इसके अलावा सरकार 11 वर्ष से 18 वर्ष की उम्रवाले अनाथ बच्चों की पढ़ाई का खर्चा भी उठायेगी। इस योजना के तहत 11 से 18 वर्ष की उम्र वाले बच्चों को कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय और अटल आवासीय विद्यालय से जोड़ा जायेगा।
अनाथ बेटियों के विवाह में आर्थिक मदद
इसके अलावा सरकार अनाथ बच्चियों को विवाह के समय आर्थिक मदद भी देगी। इस योजना के तहत अनाथ हुई बेटियों की शादी में राज्य सरकार की ओर से 1 लाख 1 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जायेगी।
टैबलेट और लैपटॉप की सुविधा भी मिलेगी
कक्षा 9 या इससे ऊपर की कक्षा में पढ़ाई करनेवाले या व्यावसायिक शिक्षा ले रहे 18 वर्ष की उम्र तक के बच्चों को टैबलेट और लैपटॉप की सुविधा दी जायेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस पहल से यूपी के अनाथ और बेसहारा बच्चों के चेहरे पर मुस्कान तो आ जायेगी। उन्हें थोड़ा सहारा तो मिल जायेगा, लेकिन देश के अन्य हिस्सों में रह रहे अनाथ बच्चों का क्या। उनके बारे में भी सभी राज्य सरकारों को भी सोचना चाहिए। सिर्फ राज्य सरकारों को ही नहीं, बल्कि केंद्र को भी इस समस्या पर ध्यान देना होगा। यह समस्या मात्र उन छोटे बच्चों से जुड़ी नहीं है। यह समस्या देश के भविष्य से जुड़ी हुई है। कहते हैं कि देश का भविष्य आज के बच्चे और नौजवानों पर निर्भर करता है। अगर आज इन बच्चों की समस्या दूर नहीं होगी तो आनेवाले समय में देश को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
अब हमारे नेताओं को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इन बच्चों के बारे में सोचना होगा। राजनीति की नयी परिभाषा गढ़नी होगी। अपने लिए नहीं, अब अपनों के लिए सोचना होगा।