गोरखपुर की किसी भी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं सीएम योगी
दिग्गजों को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी में भाजपा
राहुल सिंह
यूपी चुनाव को लेकर भाजपा पूरी तरह से मैदान में उतर चुकी है। सूत्रों के अनुसार भाजपा अपने सभी बड़े और दिग्गज नेताओं को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी में है। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर की किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। संभव है कि योगी आदित्यनाथ कौशांबी की सिराथू सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। दिनेश शर्मा लखनऊ से, तो डॉ महेंद्र सिंह कुंडा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह को भी मैदान में उतारने की तैयारी है। भाजपा का मानना है कि बड़े और दिग्गज नेताओं को चुनावी मैदान में उतारने से पार्टी के कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ेगा। साथ ही उनके विधानसभा में चुन कर आने से एमएलसी की सीटें खाली होंगी, इसका फायदा पार्टी के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं को होगा।
चुनाव को लेकर भाजपा ने कसी कमर
भाजपा उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुट गयी है। इससे पहले भाजपा ने प्रदेश भर में जिला कार्यसमिति की बैठक का आयोजन किया। कार्यसमिति में यह साफ किया गया कि सेवा कार्यों से ही उत्तरप्रदेश उत्तम और अग्रणी प्रदेश बना है। लखनऊ में हुई बैठक में संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने कहा कि विशेष अभियान चला कर और घर-घर संपर्क करते हुए योजनाओं और विचारधारा से अवगत कराते हुए ज्यादा से ज्यादा लोगों को पार्टी से जोड़ना है। बंसल ने इस दौरान कहा कि जनसंघ की शुरूआत कभी पांच सदस्यों की टीम के साथ हुई थी, जो आज विश्व की सबसे बड़ी इकाई बन गयी है।
योगी सरकार का मास्टर स्ट्रोक
उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने शनिवार को बड़ा दावा किया। सरकार के मुताबिक, योगी आदित्यनाथ के सीएम रहते पिछले साढ़े चार साल में 6.65 लाख से अधिक लोगों को सरकारी नौकरी मिली। उन्होंने बसपा और सपा सरकार से ज्यादा नौकरियां दीं। बसपा सरकार ने 5 साल में 95000 और सपा सरकार ने 5 साल में लगभग 2 लाख लोगों को नौकरियां दी थीं। योगी सरकार का दावा है कि दिसंबर तक कम से कम 75000 और युवाओं को नौकरी मिलेगी।
योगी सरकार का यह दावा ऐसे वक्त पर आया है, जब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव बेरोजगारी के मुद्दे पर भाजपा को घेरने की कोशिश में जुटे हैं।वहीं दूसरी तरफ 30 जुलाई को यूपी में नौ मेडिकल कॉलेजों का पीएम मोदी के हाथों उद्घाटन भी चुनाव के मद्देनजर बुहत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इन दोनों उपलब्धियों से योगी सरकार ने साफ तौर पर विपक्ष के तरकश से दो तीर तो कम कर ही दिये। इससे यह भी साफ हो जाता है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा सरकार अपनी उपलब्धियों को सामने रख कर विपक्ष के हर दांव को कमजोर करेगी। अब विपक्ष के सामने मुद्दों को चुनने की चुनौती होगी। क्योंकि समय के साथ-साथ किसान आंदोलन का कमजोर होना यह साफ करता है कि विपक्षी पार्टियों में कहीं ना कहीं एकजुटता की कमी है, जिसका फायदा भाजपा विधानसभा के चुनाव में जरूर उठायेगी।