अजय शर्मा
रांची (आजाद सिपाही)। करोड़ों रुपये के करप्शन के एक मामले की जांच 24 वर्षों से रांची पुलिस कर रही है। उस समय झारखंड बिहार से अलग भी नहीं हुआ था। इंजीनियरों की जिस चौकड़ी ने करोड़ों रुपये का गबन किया वे उस समय सरकार की नाक के बाल हुआ करते थे। बड़ी गड़बड़ी करने के कारण उस समय उनके खिलाफ जांच करायी गयी। इस संबंध में कोतवाली थाने में कांड संख्या 147/97 दर्ज किया गया है। 27 मार्च 1997 को दर्ज इस मामले में भादवि की धारा 409/34 लगायी गयी है। इस मामले में भवन निर्माण और आवास विभाग के तत्कालीन सहायक अभियंता राकेश रंजन प्रसाद सिन्हा, जेई राम अवध तिवारी, राम नारायण प्रसाद, सुरेश कुमार रस्तोगी और सियाराम सिंह को नामजद किया गया था। रांची पुलिस ने इस मामले में राकेश रंजन प्रसाद सिन्हा और सुरेश कुमार रस्तोगी के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी है। अभियोजन की स्वीकृति संबंधित विभाग की ओर से नहीं दी गयी है। 25 मार्च 2021 को रांची पुलिस की ओर से इस संबंध में एक पत्र गृह विभाग को भेजा गया है। इसके पहले भी वर्ष 2019 में अभियोजन की अनुमति देने के संबंध में पत्राचार किया गया। लेकिन अनुमति नहीं मिली। अभियोजन की अनुमति नहीं मिलने से सवाल उठ रहा है कि इनका प्रभाव इतना है कि कोई निर्णय अब तक नहीं हो पाया।
डीसी ने लिखा पत्र : रांची डीसी ने गृह विभाग के प्रधान सचिव को इस संबंध में पत्र भेजकर मुकदमा चलाने की अनुमति देने का अनुरोध किया है। उन्होंने लिखा है कि अभियोजन की अनुमति नहीं मिलने से मामला लंबित चला आ रहा है।
क्या लिखा पुलिस ने : इस पूरे मामले में रांची पुलिस ने डीसी को पत्र लिखा था। पत्र में कहा गया है कि यह मामला संयुक्त बिहार का है। तीन आरोपियों की मौत हो चुकी है। दो अन्य आरोपी जमानत पर हैं। इनके खिलाफ साक्ष्य भी है। इनपर मुकदमा चलाने की अनुमति दी जाये। अगर अभी भी इस मामले में अनुमति नहीं मिली तो मामला लटका रह सकता है।
होती रही जांच तीन की हो गयी मौत
24 साल से इस मामले की जांच चल रही है। जांच किस रफ्तार में हो रही है इसका अंदाजा एफआइआर दर्ज होने के वर्ष से लगाया जा सकता है। आरोपियों में से तीन राम अवध बिहारी, राम नारायण प्रसाद और सिया राम सिंह की मृत्यु हो चुकी है। रांची पुलिस ने नामजद सभी आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य पाया है। मामले मेें आरोप पत्र भी दाखिल किया गया है। लेकिन मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं मिल पायी।

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