मांडर विधायक ने लिखा सीएम को पत्र
रांची। मांडर विधायक बंधु तिर्की ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिख कर राज्य के +2 स्कूलों में प्रिंसिपल के पद के लिए माध्यमिक शिक्षकों को प्राथमिकता देने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि राज्य के शत-प्रतिशत उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में स्थायी प्रधानाध्यापक नहीं हैं। ऐसे में विद्यालयों के संचालन के लिए एक अधिसूचना स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव की ओर से जारी की गयी है। इस अधिसूचना में कई तरह की त्रुटियां हैं। राज्य में जितने भी +2 विद्यालय संचालित हैं, वे माध्यमिक विद्यालय को उत्क्रमित कर चलाये जा रहे हैं। माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक का पद सृजित है, जबकि + 2 के लिए प्राचार्य का पद सृजित नहीं है। पीजीटी शिक्षक राज्य कैडर का होता है, जबकि माध्यमिक शिक्षा जिला कैडर का होता है। दोनों को साथ मिला कर वरीयता देखने का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में दोनों में वरीयता निर्धारण करना ही गलत है।
प्लस टू विद्यालय के शिक्षक प्राचार्य बनने की योग्यता रखते हैं
श्री तिर्की ने लिखा है कि प्रधानाध्यापक का पद केवल उच्च विद्यालयों में नियुक्त शिक्षकों की सेवा शर्त नियमावली में वर्णित है, जबकि पीजीटी शिक्षकों की सेवा शर्त नियमावली में नहीं है। प्लस टू विद्यालय के शिक्षक प्राचार्य बनने की योग्यता रखते हैं ना कि प्रधानाध्यापक। प्रधानाध्यापक का पद खाली होने पर भी वे प्रभारी प्रधानाध्यापक कैसे बन पायेंगे। अविभाजित बिहार के समय से ही उच्च विद्यालयों में जहां प्लस टू की पढ़ाई होती थी प्रधानाध्यापक और प्रभारी प्रधानाध्यापक उच्च विद्यालय में नियुक्त योग्यताधारी शिक्षक बनते आये हैं ना कि पीजीटी शिक्षक।
इस अधिसूचना के लागू होने से 30 वर्ष का कार्य अनुभव रखनेवाले वरीयतम उच्च विद्यालय के शिक्षक पांच वर्ष कार्य अनुभव रखनेवाले पीजीटी जो विषम वर्गीय हैं के अंदर काम करने को मजबूर होंगे जैसे 1987 में नियुक्त मारवाड़ी प्लस टू उच्च विद्यालय रांची की शिक्षिका मोनिका मंडल 2012 में नियुक्त पीजीटी शिक्षक आशीष कुमार के अंडर में कार्य करने को मजबूर है।