जापान की राजधानी टोक्यो में 23 जुलाई से ओलंपिक खेलों का आयोजन होने जा रहा है. भारत की ओर से पांच पुरुष और चार महिला मुक्केबाजों ने टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया है. मुक्केबाजी में भारत को ज्यादा से ज्यादा मेडल जीतने की उम्मीद है.
बीते कुछ सालों में भारत में मुक्केबाजी का चलन काफी बढ़ा है. इसकी एक वजह ओलंपिक खेलों में मुक्केबाजी में भारत को मेडल मिलना ही है. भारत की तरफ से विजेंदर सिंह ने 2008 ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था. इसके बाद एमसी मैरीकॉम ने 2012 ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता.
इस बार कई मुक्केबाज इन खेलों में हिस्सा ले रहे हैं और एक से अधिक पदक जीतने की कोशिश करेंगे. भारतीय टीम के हाई परफॉरमेंस निदेशक साटिआगो निएवा ने कहा कि उम्मीदों का भार मुक्केबाजों पर नहीं पड़ेगा, क्योंकि इन्होंने पिछले कुछ सालों में अच्छा प्रदर्शन किया है और इन्हें अपनी क्षमता पर पूरा भरोसा है.
टोक्यो ओलंपिक में भी सबकी निगाहें वर्ल्ड चैंपियन मैरीकॉम पर ही होंगी. मैरीकॉम 51 किलोग्राम कैटेगरी में भारत की ओर से चुनौती पेश करेंगी. मैरीकॉम भी 2012 लंदन ओलंपिक के बाद दूसरा मेडल जीतना चाहती हैं. चूंकि मैरीकॉम अब 38 साल की हो चुकी हैं इसलिए जाहिर तौर पर वह अपना आखिरी ओलंपिक ही खेल रही हैं और इसे वह मेडल जीतकर यादगार बनाना चाहेंगी.
एशिया चैंपियन पूजा रानी मिडल वेट 78 किग्रा में भारत की मजबूत दावेदार हैं. इनके अलावा 2018 विश्व चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता सिमरनजीत कौर और लोवलिना बोरगोहेन (वेल्टरवेट 69 किग्रा) अन्य महिला मुक्केबाज हैं जिनसे पदक लाने की उम्मीद होगी.
पुरुष वर्ग में विकास कृष्णा यादव (69 किग्रा), 2019 विश्व रजत पदक विजेता अमित पंघाल (52 किग्रा), 2014 एशिया खेलों के कांस्य पदक विजेता सतीश कुमार (प्लस 91 किग्रा), 2018 राष्ट्रमंडल खेलों के उपविजेता मनीष कौशक (63 किग्रा) और आशीष कुमार (75 किग्रा) भार वर्ग में अपनी चुनौती पेश करेंगे.
सभी नौ मुक्केबाज अच्छी फॉर्म में हैं और इन्होंने टोक्यो ओलंपिक से पहले हुए अन्य टूर्नामेंट में बेहतर प्रदर्शन किया है. इस साल मई में दुबई में हुई एएसबीसी एशिया मुक्केबाजी चैंपियनशिप में भारत ने दो स्वर्ण, पांच रजत और आठ कांस्य सहित कुल 15 पदक जीते थे.