दलितों और आदिवासियों के प्रति भाजपा की सोच भयावह
राम मंदिर भूमि घोटाले की एनआइए जांच क्यों नहीं हुई
आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा फादर स्टेन स्वामी के सवालों को मरने नहीं देगा। उनके सवालों के हल की कोशिश की जायेगी। श्री भट्टाचार्य ने कहा कि न्यायिक हिरासत में हुई फादर स्टेन स्वामी की मौत महज संयोग नहीं थी। जिस भीमा कोरेगांव केस से उनका नाम जोड़ा गया, वह दलित चेतना का आंदोलन था। दलित चेतना के आंदोलन को लोगों के जेहन से हटाने के लिए देश विरोधी तमगा दिया गया। जो दलितों और आदिवासियों की बात करते हैं। मजदूरों की पैरवी करते हैं। उन सभी विचारकों और लेखकों को चुन-चुन कर इसमें फंसाया गया। फादर स्टेन स्वामी भी इसमें एक विक्टिम बने। कोरोना काल मेें वर्ष 2020 में जब उनकी गिरफ्तारी हुई, उसी वक्त वे अस्वस्थ थे। उन्हें यहां से गिरफ्तार कर महाराष्टÑ की जेल में डाल दिया गया।
अपना पूरा जीवन वंचितों की आवाज उठाने में लगायी
जिस व्यक्ति ने अपना पूरा जीवन वंचितों की आवाज उठाने में लगायी, उनके स्वर को बंद कर दिया गया। उनकी मृत्यु हम सबके लिए चुनौती लेकर आयी है। क्या देश में अलपसंख्यक, मजदूर और महिला अधिकार पर बात करने पर रोक लगा दी गयी है। फादर स्टेन स्वामी के निधन और राज्य की महिला राज्यपाल को बदले जाने की खबर महज संयोग नहीं है। आदिवासी, दलित और अल्पसंख्यकों के खिलाफ भाजपा की जो सोच है, वह भयावह है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में केंद्र सरकार ही फेल रही। तो भाजपा इस सरकार को ही क्यों नहीं बदलती। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार काले कानून लाकर सबकी आवाज दबाने का काम कर रही है। यह अशुभ संकेत है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ देश के नौ बड़े नेताओं ने फादर स्टेन स्वामी की न्यायिक हिरासत में हुई मौत की जिम्मेवारी तय करने के लिए राष्टÑपति को पत्र लिखा है। हम इस मांग को छोड़ेंगे नहीं। क्योंकि यदि यह क्रम चलता रहा तो भाजपा के खिलाफ, महंगाई के खिलाफ और हक-हुकूक के लिए उठनेवाली आवाज को दबा दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि राज्य में एनडीए के 16 सांसद हैं। पर वे राज्य के लिए कुछ नहीं ला पाये। न तो जीएसटी का पैसा आया, न राज्य की बकाया रॉयल्टी मिली।