मुंबई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को मुंबई स्थित राजभवन के भूमिगत बंकर में बनी स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों की ‘क्रांति गाथा’ गैलरी का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि देश की आजादी की लड़ाई में आदिवासी समुदाय का बहुत बड़ा योगदान है, इसलिए इस पर और शोध करने की जरूरत है। राष्ट्रपति ने बंकर में रखी छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित की।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मुंबई के दो दिवसीय दौरे के दूसरे दिन राजभवन में देश के आदिवासी क्रांतिकारियों की गैलरी का दौरा किया और आदिवासी क्रांतिकारियों के बारे में जाना। इस मौके पर राष्ट्रपति ने कहा कि 1857 से पहले भी आजादी के लिए कई जगहों पर छोटी-बड़ी लड़ाइयां लड़ी गईं थीं। इन देशभक्तों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी हासिल करने के छात्रों और युवाओं को राजभवन में क्रांतिकारियों के संग्रहालय का दौरा करना चाहिए और इस पर व्यापक शोध भी किया जाना चाहिए।

इस अवसर पर राजभवन के जनसंपर्क अधिकारी उमेश काशीकर ने राष्ट्रपति को क्रांतिकारियों के स्वतंत्रता पूर्व इतिहास के बारे में जानकारी दी। राष्ट्रपति को बताया गया कि ओडिशा के प्रथम मुख्यमंत्री ‘उत्कल केसरी’ डॉ. हरेकृष्ण महताब 1955-1956 की अवधि के दौरान बॉम्बे राज्य के राज्यपाल थे और वह राजभवन में रुके थे। ‘क्रांति गाथा’ संग्रहालय में विशेष रूप से अज्ञात क्रांतिकारियों के बारे में जानकारी दी गई है और 1857 से 1946 तक की अवधि की महत्वपूर्ण घटनाओं को मूर्तियों और भित्तिचित्रों के माध्यम से प्रकाश में लाया गया है। क्रांतिगाथा संग्रहालय का उद्घाटन जून, 2022 में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। राजभवन में प्रथम विश्व युद्ध से पहले बनाया गया एक भूमिगत बंकर 2016 में मिला था, जिसे संग्रहालय का रूप दिया गया है।

संग्रहालय का दौरा करने के बाद राष्ट्रपति ने विभिन्न आगंतुकों और प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की। इसके बाद राष्ट्रपति शिरडी जाने के लिए मुंबई एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गईं। उन्हें विदाई देने के लिए राज्यपाल रमेश बैस, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस, राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल, मुख्य सचिव मनोज सौनिक, तीनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारी एयरपोर्ट पर मौजूद थे।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version