रांची। झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर स्पेशल ब्रांच ने एक रिपोर्ट जारी की है, जो चौंकाने वाली है। रिपोर्ट में स्पेशल ब्रांच ने कहा है कि बांग्लादेशी घुसपैठिए राज्य के अलग-अलग मदरसों में पनाह ले रहे हैं। इसके बाद उनका सरकारी दस्तावेज भी तैयार किया जाता है। फिर मतदाता सूची में उनका नाम डाला जाता है, रिपोर्ट में खुलासा है कि इन घुसपैठियों को फिर साजिश के तहत वहां बसाया जाता है। स्पेशल ब्रांच की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों से राज्य की आंतरिक व्यवस्था का खतरा बना रहता है। संथाल परगना क्षेत्र के साथ-साथ झारखंड के अन्य जिलों में भी ऐसे घुसपैठियों के प्रवेश करने की संभावना है, जिसकी निगरानी और जांच आवश्यक है।
इन क्षेत्रों से बांग्लादेशी घुसपैठियों की आवाजाही हो रही है
एनआरसी लागू करवाने के लिए करीब पांच साल पहले झारखंड सरकार ने एक रिपोर्ट बनवायी थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, पाकुड़ और साहिबगंज जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों की आबादी तेजी से बढ़ी है। चूंकि झारखंड से बांग्लादेश की सीमा महज 40 किमी ही दूर है। जिससे झारखंड में फरक्का, उढ़ावा, पीयारपुर, बेगमगंज, फूकदकीपुर, दियारा, चांदशहर और प्राणपुर आदि इलाकों से बांग्लादेशी घुसपैठियों की आवाजाही बड़े आराम से हो रही है।
हाइकोर्ट ने पूछा कैसे बांग्लादेशी घुसपैठिए झारखंड में घुस रहे हैं
झारखंड में बांग्लादेशियों की घुसपैठ पर हाइकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। केंद्र और राज्य सरकार से पूछा है कि बांग्लादेशी घुसपैठिए झारखंड में कैसे घुस रहे हैं। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र की खंडपीठ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से पूछा कि संथाल परगना के सीमावर्ती इलाकों में बांग्लादेशियों के घुसपैठ की जानकारी है या नहीं। घुसपैठ हो रहा है, तो उसे रोकने के लिए क्या कदम उठाये गये, इसपर कोर्ट ने जवाब देने को कहा है।
आदिवासी लड़कियों को गुमराह कर घुसपैठिए कर रहे शादी
गौरतलब है कि राज्य के सीमावर्ती इलाकों में बड़ी संख्या में मदरसे बनाये जा रहे हैं। जिससे बांगलादेशी घुसपैठिए इन इलाकों में आदिवासी लड़कियों को गुमराह कर उनसे शादी कर ले रहे हैं। झारखंड के साहिबगंज और पाकुड़ जिलों में ऐसे मामले बढ़ रहे हैं। जिससे वहां की जनसंख्या पर भी असर पड़ रहा है।