-शाह आयोग की रिपोर्ट से कांग्रेस का विकृत चेहरा सामने आयेगा
-आपातकाल के दौरान हुई बर्बरता, तानाशाही, अत्याचार और लोकतंत्र की हत्या के रहस्य को खुलेगा
रांची। राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश ने राज्यसभा में 28 मई 1977 में भारत सरकार के द्वारा आपातकाल के समय की गयी ज्यादतियों की जांच के लिए न्यायमूर्ति जेसी शाह की अध्यक्षता में गठित आयोग की रिपोर्ट को लोकहित में सार्वजनिक करने की मांग की। श्री प्रकाश ने कहा कि आपातकाल के समय की गयी ज्यादतियों की जांच के लिए शाह आयोग ने सौ बैठकें की थीं। 48 हजार कागजात की पड़ताल की थी और दो अंतरिम रिपोर्ट पेश की थी।
पहली अंतरिम रिपोर्ट 11 मार्च 1978 को सौंपी गयी थी। अंतिम रिपोर्ट 6 अगस्त 1978 को प्रस्तुत की गयी। श्री प्रकाश ने कहा कि आपातकाल की जांच के लिए बने शाह आयोग की रिपोर्ट की प्रतियां पुन: सत्ता में आयी इंदिरा सरकार द्वारा नष्ट कर दी गयी थी। तत्कालीन इंदिरा गांधी की सरकार ने न सिर्फ देश में मौजूद रिपोर्ट को नष्ट की, बल्कि दुनिया में जहां-जहां वह रिपोर्ट मौजूद थी, तत्कालीन सरकार ने उसे वहां से मंगा कर नष्ट कर दिया। एक प्रति ऑस्ट्रेलिया की सेंट्रल लाइबे्ररी में मौजूद है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट आपातकाल के दौरान हुई बर्बरता, तानाशाही, अत्याचार और लोकतंत्र की हत्या के रहस्य को खोलेगी। साथ ही वह रिपोर्ट कांग्रेस के काले और विकृत चेहरे को भी उजागर करेगी। उन्होंने कहा कि मांग करता हू कि उक्त रिपोर्ट की जो प्रतियां ऑस्ट्रेलिया की लाइब्रेरी में मौजूद है, उसे देशहित में वापस लाया जाये और उसे सार्वजनिक किया जाये। सदन में सभापति ने इस विषय को संज्ञान लेते हुए संसद में उपस्थित मंत्री को निर्देश दिया कि इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए हरसंभव प्रयत्न करें।