विशेष
प्रदेश के पार्टी नेताओं को दिया संगठन की मजबूती का गुरु मंत्र
आपसी समन्वय बनाकर बड़ा टास्क पूरा करने का दिया निर्देश
अगले चुनाव के लिए अभी से जमीन पर काम में जुट जाने को कहा
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
राजधानी रांची में आयोजित पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक में शामिल होने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने झारखंड भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ एक महत्वपूर्ण और गोपनीय बैठक की। दिल्ली रवाना होने से पहले हुई इस बैठक में संगठनात्मक रणनीति, आगामी चुनावी तैयारियों और राज्य की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की गयी। बैठक में प्रदेश संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और पूर्व सीएम चंपाई सोरेन मौजूद थे। बैठक पूरी तरह से गोपनीय रखी गयी, लेकिन जो जानकारी सामने आयी है, उसके अनुसार इसमें झारखंड और बिहार की राजनीतिक परिस्थितियों पर चर्चा की गयी। साथ ही बिहार विधानसभा चुनाव में झारखंड भाजपा के नेताओं की संभावित भूमिका पर भी मंथन हुआ। गृह मंत्री शाह ने नेताओं को प्रदेश में संगठन को और अधिक मजबूत करने के निर्देश दिये। उन्होंने नीतिगत मुद्दों पर एकजुटता बनाये रखने, केंद्र की योजनाओं की निगरानी करने और जनता से संवाद बढ़ाने पर जोर दिया। अमित शाह ने कार्यकर्ताओं को गांव-गांव जाकर पार्टी के कार्यक्रमों को सक्रिय करने और जनता की समस्याएं जानकर उनके समाधान की दिशा में काम करने को कहा। इतना ही नहीं, अमित शाह ने प्रदेश भाजपा के नेताओं से आपसी प्रतिद्वंद्विता को भुला कर संगठन के लिए काम करने और अगले चुनाव के लिए अभी से ही काम में जुट जाने को कहा। अमित शाह के इस बूस्टर डोज के बाद झारखंड भाजपा में नये उत्साह का संचार होता दिख रहा है और पार्टी का हर नेता एक्टिव हो गया है। क्या हुआ अमित शाह के दौरे में और झारखंड भाजपा के लिए यह दौरा कितना अहम रहा, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के दूसरे सबसे बड़े नेता अमित शाह के झारखंड दौरे से यहां का राजनीतिक पारा चढ़ गया है। झारखंड भाजपा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रघुवर दास और चंपाई सोरेन ने होटल रेडिशन ब्लू में उनसे मुलाकात की। इस दौरान संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह भी मौजूद थे। केंद्रीय गृह मंत्री वैसे तो पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक की अध्यक्षता करने रांची आये थे, लेकिन करीब 22 घंटे की उनकी यात्रा के दौरान झारखंड भाजपा को नयी ऊर्जा मिली। दूसरे शब्दों में कहा जाये, तो अमित शाह ने अपने दौरे के दौरान झारखंड भाजपा को बूस्टर डोज दे दिया।
अर्जुन मुंडा मिलने नहीं आये
नौ जुलाई की रात अमित शाह रांची पहुंचे। हवाई अड्डे पर उनकी अगवानी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, पूर्व सीएम रघुवर दास और अर्जुन मुंडा ने किया। 10 जुलाई को पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक के बाद अमित शाह ने प्रदेश भाजपा के नेताओं को मिलने के लिए बुलाया। अमित शाह से मुलाकात करने के लिए सबसे पहले बाबूलाल मरांडी और संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह एक ही कार से पहुंचे थे। इसके बाद रघुवर दास आये। अंत में चंपाई सोरेन पहुंचे। मुलाकात के बाद सबसे पहले बाबूलाल मरांडी और कर्मवीर सिंह बाहर निकले। उसी तरह रघुवर दास और फिर चंपाई सोरेन अपनी कार में बैठकर रवाना हो गये। पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा हवाई अड्डे पर मौजूद थे।
क्या हुआ इस मुलाकात में
अमित शाह से मुलाकात के बाद प्रदेश भाजपा के नेताओं, चाहे वह बाबूलाल मरांडी हों या रघुवर दास या फिर चंपाई सोरेन, के चेहरे पर उत्साह नजर आया। सभी की बॉडी लैंग्वेज से साफ नजर आ रहा था कि अमित शाह ने उन्हें कुछ गुरु मंत्र दिया है और विधानसभा चुनाव की करारी हार को भूल कर नये सिरे से काम करने को कहा है। अमित शाह से मुलाकात के बारे में किसी नेता ने कुछ नहीं बताया, लेकिन जानकारी है कि इन नेताओं को मिल कर काम करने का निर्देश दिया गया।
मुलाकात के वास्तविक निहितार्थ का आकलन मुश्किल
यह बात सही है कि अमित शाह और प्रदेश भाजपा के बड़े नेताओं की मुलाकात के वास्तविक निहितार्थ का आकलन इतनी आसानी से नहीं किया जा सकता है, लेकिन टुकड़ों-टुकड़ों में जो संकेत मिले हैं, वे काफी महत्वपूर्ण हैं। आमतौर पर ऐसे मुलाकात के बाद अनुमान लगाया जाना स्वाभाविक है, लेकिन इसमें हकीकत की मात्रा बहुत अधिक नहीं होती है। अमित शाह ने जिस अंदाज में प्रदेश भाजपा के नेताओं से मुलाकात की और बातचीत की, उससे पहली नजर में तो ऐसा ही लगता है कि झारखंड को लेकर भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व बेहद गंभीर है।
संगठन की मजबूती के लिए काम करने को कहा गया
अमित शाह ने प्रदेश भाजपा के नेताओं को संगठन की मजबूती के लिए काम करने को कहा। प्रदेश भाजपा के नेताओं से कहा गया कि अगला चुनाव हालांकि अभी दूर है, लेकिन अभी से ही जमीन पर उतर कर काम करने की जरूरत है। अमित शाह ने झारखंड की राजनीतिक स्थिति की जानकारी ली और पार्टी की गतिविधियों के बारे में विस्तार से बात की।
मोदी सरकार के काम को घर-घर तक पहुंचाने का मिला टास्क
अमित शाह ने प्रदेश भाजपा के नेताओं से साफ कहा कि एक सोची-समझी रणनीति के तहत काम किये जाने की जरूरत है। झारखंड के आदिवासी जिस तरह भाजपा से छिटके हैं, उस पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है। ऐसे में मोदी सरकार के कामकाज को घर-घर तक पहुंचाने के लिए अभियान शुरू किया जा सकता है। झारखंड के ग्रामीण इलाकों में पार्टी संगठन को मजबूत बनाने की दिशा में भी काम करने का टास्क प्रदेश भाजपा के बड़े नेताओं को मिला।
प्रदेश अध्यक्ष के मुद्दे पर भी चर्चा हुई
अमित शाह ने प्रदेश भाजपा के नेताओं से मुलाकात के दौरान प्रदेश अध्यक्ष के मुद्दे पर भी विस्तार से चर्चा की। झारखंड में अभी नेता प्रतिपक्ष के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी बाबूलाल मरांडी संभाल रहे हैं। पार्टी नये प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव करनेवाली है। इसलिए इस मुलाकात को बेहद अहम माना जा रहा है। बताया जाता है कि अमित शाह ने इस मुद्दे पर नेताओं के विचार जाने और संगठन के भीतर जल्दी ही इस पर चर्चा करने का भरोसा दिया। अमित शाह ने चंपाई सोरेन को और अधिक सक्रिय होने के लिए कहा, ताकि आदिवासी इलाकों में पार्टी को दोबारा से मजबूत किया जा सके।
बिहार चुनाव को गंभीरता से लेने को कहा
अमित शाह ने प्रदेश भाजपा के नेताओं को झारखंड के साथ बिहार पर भी ध्यान देने को कहा। बिहार में आसन्न विधानसभा चुनाव के दौरान झारखंड के भाजपा नेताओं की क्या भूमिका हो सकती है, इस पर भी चर्चा हुई। झारखंड से सटे बिहार के इलाकों में अभी से ही काम में जुट जाने की रणनीति बनाने को कहा गया।
झारखंड भाजपा के नेताओं के अनुसार अमित शाह ने मुलाकात के दौरान पार्टी के भीतर नये उत्साह का संचार किया। यह बात उस समय सच भी लगी, जब अमित शाह के दिल्ली लौटने के अगले ही दिन से भाजपा नेताओं के तेवर बदले हुए नजर आये।