मैनचेस्टर। इंग्लैंड के स्पिन गेंदबाज लियाम डॉसन ने करीब आठ साल बाद टेस्ट क्रिकेट में वापसी की है और अपने प्रदर्शन से यह जताया कि उम्र और अनुभव ने उन्हें और भी बेहतर गेंदबाज़ बना दिया है। 35 वर्षीय डॉसन ने 2929 दिनों बाद टेस्ट मैदान पर वापसी की और केवल सात गेंदों में ही भारत के यशस्वी जायसवाल का विकेट लेकर अपना खाता खोला। लॉर्ड्स में शोएब बशीर के चोटिल होने के बाद डॉसन को मैनचेस्टर टेस्ट के लिए इंग्लैंड टीम में शामिल किया गया। पहले दिन उन्होंने 15 ओवर में 45 रन देकर एक विकेट लिया। डॉसन ने माना कि इतने लंबे अंतराल के बाद दोबारा टेस्ट खेलने से उन्हें घबराहट हुई थी।
डॉसन ने मैच के बाद कहा, “हां, मैं नर्वस था। कई सालों से नहीं खेला था, लेकिन उम्र के साथ आप सीखते हैं कि नर्वसनेस को कैसे संभालना है।” डॉसन ने 2016 में चेन्नई में भारत के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया था और उसके बाद से उनका टेस्ट करियर ठहर सा गया था। लेकिन घरेलू क्रिकेट में उन्होंने खुद को साबित किया है। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने हैम्पशायर के लिए 215 फर्स्ट क्लास विकेट लिए हैं और 12 बार पारी में पांच विकेट झटके हैं। दिलचस्प बात यह है कि पिछले साल इसी मैदान पर उन्होंने लंकाशायर के खिलाफ मैच में 10 विकेट लेकर शतक भी जमाया था, लेकिन उन्हें वह प्रदर्शन याद भी नहीं था।
उन्होंने कहा, “सच कहूं तो मुझे वो लंकाशायर वाला मैच याद ही नहीं था। घरेलू क्रिकेट और टेस्ट क्रिकेट में बहुत फर्क होता है, लेकिन इस बार मुझे पता था कि क्या उम्मीद करनी है, जो डेब्यू के समय नहीं था।” डॉसन ने अपनी प्रगति पर बात करते हुए कहा कि वह अब ज्यादा सुसंगत हैं और परिस्थितियों को बेहतर समझते हैं। उन्होंने कहा, “मैं पिच को अब बेहतर समझता हूं, बल्लेबाज़ क्या करना चाहते हैं यह भी थोड़ा भांप लेता हूं, और सबसे अहम – मैंने पिछले कुछ वर्षों में बहुत ओवर फेंके हैं। जब आप ज्यादा गेंदबाज़ी करते हैं तो आप बेहतर बनते हैं।”
हालांकि उन्होंने पहले दिन के प्रदर्शन को लेकर खुद को ज्यादा ऊंचा नहीं आंकते हुए कहा, “यह तो बस एक विकेट है। इसमें कुछ खास नहीं किया है। हां, टीम के लिए योगदान देना अच्छा लगा, लेकिन अभी काफी क्रिकेट बाकी है। मुझे लगा था कि मेरा टेस्ट करियर खत्म हो गया है, लेकिन अब जब मौका मिला है तो हर दिन को एंजॉय करना चाहता हूं।”
लियाम डॉसन की यह वापसी न सिर्फ प्रेरणादायक है बल्कि यह भी दिखाती है कि संयम, मेहनत और अनुभव से एक खिलाड़ी खुद को दोबारा साबित कर सकता है – चाहे वह वापसी कितनी भी देर से क्यों न हो।