नई दिल्ली:  भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गर्वनर बिमल जालान ने बुधवार को कहा कि कृषि ऋण ‘जरूरत के आधार पर’ केवल एक बार माफ किया जाना चाहिए और इसे नीति में नहीं बदलना चाहिए। जालान ने यहां थिंक टैंक थिंकर्स और पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया द्वारा आयोजित ‘अर्थशास्त्र और प्रशासन’ कार्यक्रम के इतर कहा, कृषि ऋण माफी एक बार ठीक है, लेकिन आपको इसे नीति नहीं बनानी चाहिए। नहीं तो लोग ऋण लेकर उसका प्रयोग अन्य कामों के लिए करने लगेंगे। यह जरूरत पर आधारित होनी चाहिए।

इससे पहले आरबीआई के गर्वनर उर्जित पटेल और एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) की अध्यक्ष अरुधंती भट्टाचार्य ने किसानों की कर्जमाफी के खिलाफ कहा था कि इससे सरकारी खजाने पर असर पड़ेगा।

वहीं, कॉरपोरेट कंपनियों और बड़े कर्जदारों के पास फंसे हुए कर्जो (एनपीए) की वसूली के लिए बैंकों द्वारा लेनदारों के खिलाफ दिवालिया कार्रवाई शुरू करने के बारे में जालान ने कहा कि तेजी से वसूली के लिए जो-जो किया जा सकता है, किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, हमें तेजी से कार्रवाई करनी चाहिए। जो भी किया जा सकता है, किया जाना चाहिए। हमने एनपीए पर कार्रवाई में पहले ही देर कर दी है। हमें इस पर समय रहते कार्रवाई करनी चाहिए।

जालान ने कहा कि बैंकों का भारी मात्रा में कर्जा फंसा हुआ है, जिसके कारण ऋण देने की गतिविधियां प्रभावित हुई हैं।

उन्होंने आगे कहा कि बेहतर विकास दर हासिल करने के लिए नीतियों को सरल बनाने की जरूरत है।

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