अयोध्या: हाल ही में शिया वक्फ बोर्ड द्वारा सुप्रीम कोर्ट (एससी) में हलफनामा दायर कर कहा था कि यह बाबरी मस्जिद मेरे बकी ने बनवाई थी, इस लिहाज से इस मामले में उसकी बात को सुना जाये। वहीँ शिया वक्फ बोर्ड 70 साल बाद फिर से कोर्ट पहुंचा है, जिससे मामले में नया मोड़ आ गया है। अब इस मामले की सुनवाई शुक्रवार से शुरू हो रही है।

राम जन्म भूमि के मामले में नया अध्याय शिया वक्फ बोर्ड के हलफनामे से जुड़ सकता है। शिया वक्फ बोर्ड ने 70 साल बाद निचली अदालत के फैसले पर एससी में चुनौती दी है। जिसपर शुक्रवार यानी 11 अगस्त से सुनवाई शुरू हो रही है। शिया वक़्फ़ बोर्ड ने 1945 में ही इस जमीन को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया था, वहीँ इस पर 1946 में अदालत ने शिया वक्फ बोर्ड के उस दावे को खारिज कर दिया था जिसमें बोर्ड ने कहा था कि बाबरी मस्ज़िद को बाबर ने नही बल्कि मीर बकी ने बनाई थी।

जिसके बाद अब शिया वक्फ बोर्ड ने निचली अदालत के फैसले को एससी में चुनौती दी है। इस दौरान शिया वक़्फ़ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में पहली बार स्वीकार किया कि राम मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया था। वहीँ शिया वक्फ बोर्ड के एससी जाने से इस मामले में नया मोड़ भी आ गया है। शिया वक्फ बोर्ड इस बात को स्वीकार कर चुका है कि बाबरी मस्जिद, राममंदिर तोड़ कर ही बनायीं गयी थी। साथ ही बोर्ड ने यह भी कहा कि ये मस्जिद बाबर ने नहीं बल्कि मीर बकी ने बनवाई थी।

राम जन्म भूमि मामले में शुक्रवार से सुनवाई शुरू हो रही है, ऐसे में शिया वक्फ बोर्ड का पेश हलफनामा अगर एससी स्वीकार करता है तो पूरे मामले में बड़ा मोड़ आ सकता है। 1945 में ही राम जन्मभूमि पर चल रहे केस में मुसलमानों का पक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड ही रख रहा है। वहीँ शिया बोर्ड ने कहा कि 1946 तक मस्जिद उनके पास थी, 1946 के बाद अंग्रेजों ने गलत कानून से मस्जिद सुन्नी बोर्ड को दे दी थी। वहीँ इस मामले में अगर शिया वक्फ बोर्ड के पेश हलफनामे पर विचार किया गया तो पूरे मामले में नया मोड़ आने की संभावना है। शुक्रवार से राम मंदिर जन्मभूमि पर सुनवाई शुरू हो रही है।

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