लातेहार : सीआरपीएफ के 214 वीं बटालियन द्वारा वर्ष 2013 में चयनित एवं प्रशिक्षित 88 आदिवासी युवकों ने नियुक्ति नहीं मिलने पर माओवादी संगठन में शामिल होने का ऐलान किया है.  तीन दिनों से पड़हा भवन (पहाड़पुरी) में आयोजित युवकों की बैठक में उक्त निर्णय लिया गया. इन अभ्यर्थियों का कहना है कि सीआरपीएफ की 214वीं बटालियन के डालडा फैक्ट्री स्थित प्रशिक्षण केंद्र में 30 दिनों तक उन्हें सैन्य प्रशिक्षण दिया गया. इसकी जानकारी माओवादियों को हुई. माओवादियों ने उन्हें ट्रेनिंग नहीं करने की धमकी भी दी, पर वह डरे नहीं और प्रशिक्षण पूरा किया. चार वर्ष बीतने के बाद भी उनकी नियुक्ति नहीं हो पायी. अभ्यर्थियों का कहना है कि अब उनके पास एक ही रास्ता बचा है, कि सैन्य प्रशिक्षण का लाभ माओवादियों तक पहुंचायें.

 सीएम को 17 फरवरी को लिखा था पत्र :  चयनित अभ्यर्थियों ने सीएम रघुवर दास को 17 फरवरी 2018 को पत्र भेज कर नौकरी देने की मांग की थी. साथ ही लिखा था कि नौकरी नहीं मिली, तो वे माओवादी बन जायेंगे. सरकार ने जब उनकी  कोई सुध नहीं ली, तो 22 मार्च 2018 को मुख्यमंत्री जन संवाद में भी यह मामला लाया गया, लेकिन परिणाम शून्य रहा.

 क्या है मामला : अति उग्रवाद प्रभावित लातेहार, गिरिडीह, गुमला, गढ़वा, पलामू, सिमडेगा, चाईबासा एवं खूंटी जिलों में नक्सलियों  के दस्ते में नवयुवकों की हो रही भर्ती रोकने के लिए सीआरपीएफ ने  2272 पदों पर जेनरल नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला था. इसमें लातेहार जिला के 284 पदों पर नियुक्ति की घोषणा की गयी थी, जिनमें 196 का चयन किया गया. शेष 88 सीट जो अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित थी, उस पद पर नियुक्ति नहीं की गयी. इन अभ्यर्थियों का कहना है कि सूचना के अधिकार कानून के तहत  मिली जानकारी के अनुसार, सामान्य कोटि के 93 पदों की जगह 105 अभ्यर्थियों को बहाल कर लिया गया, जबकि अनूसचित जाति के अभ्यर्थियों के 117 पदों की जगह  मात्र छह अभ्यर्थियों की नियुक्ति की गयी है. वहीं पिछड़ी जाति कोटि के अभ्यर्थियों के 54 पदों में से  मात्र 12 अभ्यर्थियों को बहाल किया गया है.

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