इंदौर। क्या टिकट रद्द किये जाने से भी रेलवे को मुनाफा हो सकता है। जी हां, ऐसा हो सकता है। इस बात का खुलासा सूचना के अधिकार (आरटीआई) से हुआ है। वित्तीय वर्ष-2017-2018 में टिकट रद्द किये जाने के बदले यात्रियों से वसूले गये प्रभार से रेलवे के खजाने में लगभग 13.94 अरब रुपये जमा हुए।

मध्यप्रदेश के नीमच निवासी सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने बताया कि उन्हें रेल मंत्रालय के रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र (सीआरआईएस) के एक अफसर से आरटीआई के तहत दायर अपील पर यह जानकारी मिली है। आरटीआई के तहत दिये गये जवाब में यह भी बताया गया है कि पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान चार्ट बनने के बाद भी प्रतीक्षा सूची में ही रह गये यात्री टिकटों के निरस्त होने पर वसूले गये शुल्क से रेलवे ने 88.55 करोड़ रुपये की कमाई की।

गौड़ ने बताया कि उन्होंने आरटीआई के तहत नौ अप्रैल को सीआरआईएस को अर्जी भेजकर रेलवे से विभिन्न राजस्व मदों में ब्योरा चाहा था। लेकिन इस आवेदन पर उन्हें दो मई को केवल यह जानकारी दी गयी कि वित्तीय वर्ष-2017-2018 में अनारक्षित टिकटिंग प्रणाली (यूटीएस) के तहत बुक यात्री टिकटों को रद्द कराये जाने से रेलवे ने 17.14 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया। उन्होंने बताया कि सीआरआईएस से अधूरी सूचना मिलने पर उन्हें आरटीआई के तहत अपील दायर करनी पड़ी। इस अपील का निपटारा होने पर उन्हें रद्द टिकटों पर शुल्क वसूली से रेलवे की मोटी कमाई के बारे में विस्तृत जानकारी मिली।

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