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    Home»Breaking News»गोहत्या रोके बिना मॉब लिंचिंग पर रोक की राह आसान नहीं
    Breaking News

    गोहत्या रोके बिना मॉब लिंचिंग पर रोक की राह आसान नहीं

    azad sipahiBy azad sipahiAugust 24, 2018Updated:August 24, 2018No Comments6 Mins Read
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    • खुफिया रिपोर्ट से लेकर केंद्रीय टीम तक पुलिस की कार्यशैली पर उठा चुकी है सवाल
    • पुलिस की मिलीभगत से नहीं थम रहा हत्या का सिलसिला

    रांची। केस-एक : राजधानी रांची के बड़गाईं इलाके में कुछ उपद्रवियों ने पुलिस प्रशासन को चुनौती देते हुए खुलेआम गोहत्या कर दी। गोहत्या की सूचना पाकर पहुंची पुलिस पर उपद्रवियों ने जमकर पत्थरबाजी की। इतना ही नहीं, उपद्रवियों ने थानेदार पर भी हमला किया। घटना 23 अगस्त की है। बाद में खुलासा हुआ कि उपद्रवियों की इस भीड़ ने अपराधियों को बचाने के लिए पुलिस पर ही हमला कर दिया था। इधर, एसएसपी अनीश गुप्ता कहते नजर आये कि कोई पुलिसवालों पर हमला नही हुआ।

    केस-दो : महेशपुर थाना क्षेत्र के डंगापाड़ा में गौ मांस की सूचना पर बीते 22 अगस्त को बवाल हुआ। सर्च आॅपरेशन के दौरान मौके पर पहुंची पुलिस पर उपद्रवियों ने हमला कर दिया। इसमें तीन पुलिसकर्मी जख्मी हो गये। उपद्रवियों ने तो यहां पाकिस्तान के झंडे तक लगा दिये और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे भी लगाने लगे थे। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने उपद्रवियों पर लाठीचार्ज किया और चार राउंड आंसू गैस के गोले दागे। स्थिति को देखते हुए धारा 144 तक लगानी पड़ी।

    केस-3 : बकरीद के मौके पर गढ़वा के मेराल थाना क्षेत्र के टिकुलडीहा गांव में प्रतिबंधित पशुओं की कुर्बानी की सूचना पर पुलिस गांव में पहुंची और तलाशी लेने लगी। यह देखते हुए उपद्रवियों ने हंगामा कर दिया। पुलिस पर बेवजह परेशान करने का आरोप लगाते हुए विरोध जताया। इसके बाद गांव में तनावपूर्ण स्थिति हो गयी। उपद्रवियोंन ने पुलिसकर्मियों को गांव में ही रोक लिया। वे वरीय अधिकारियों को बुलाने की मांग पर अड़ गये। सूचना पर डीएसपी मुख्यालय संदीप कुमार गुप्ता सदल-बल पहुंचे। हालांकि यहां माहौल गरम होने के पहले ही शांत हो गया और प्रतिबंधित पशुओं की जान भी बच गयी।

    केस चार : जुलाई 2017 को बोकारो पुलिस ने छापेमारी में भर्रा स्थित जानू साह के घर प्रतिबंधित जानवरों की हड्डियां और छह पशु बरामद किये थे। जब्त जानवरों को बहादुरपुर स्थित गोशाला में रखवाया गया।

    केस पांच : दिसंबर 2017 में पाकुड़ के सोनाजोड़ी गांव के खलील अंसारी के घर 120 किलो गौ मांस पुलिस ने बरामद किया था। खलील अंसारी घर के आंगन में ही गौ मांस की बिक्री करता था।

    केस छह : दिसंबर 2017 को धनबाद के जीटी रोड पर 12 नंबर के पास फ्रीजरयुक्त कंटेनर को गौ मांस के साथ जब्त किया। कंटेनर में गौ मांस को कोलकाता से मुंबई ले जाया जा रहा था। मांस खराब नहीं हो, इसके लिए कारोबारी फ्रीजरयुक्त कंटेनर का इस्तेमाल कर रहा था।

    केस सात : जनवरी 2018 को रांची जिले के बरियातू रोड स्थित डॉक्टर केके सिन्हा क्लीनिक के नजदीक गौ मांस के साथ दो लोगों को पुलिस ने पकड़ा था। गौ मांस बड़गाईं से गुदरी कुरैशी मोहल्ला ले जाया जा रहा था।
    यह महज कुछ उदाहरण हैं, जो यह बता रहा है कि झारखंड में कानून बनने के बाद गोहत्या बढ़ गयी है। अब तो स्थिति यह हो गयी है कि उपद्रवि पुलिस पर आक्रमण करने से भी बाज नहीं आ रही है। नतीजतन पुलिस को मुंह छिपाकर भागना पड़ रहा है। अब सवाल है कि आखिर पुलिस इतनी पंगू क्यों हो गयी है। जब झारखंड में गोहत्या कानून लागू है, तो हत्यारे को पकड़ने में पुलिस के हाथ-पांव क्यों कांप रहे हैं। यह साफ है कि जब तक गोहत्या नहीं रूकेगी, झारखंड से मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर अंकुश संभव नहीं दिख रहा है। यह सवाल हम किसी जाति विशेष को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं उठा रहे हैं। क्यों कि कानून की नजर में अपराधि सिर्फ एक अपराधि ही होता है। मेरा मानना है कि जब हत्या का कानून झारखंड में लागू है, तो पुलिस इस पर अमल क्यों नहीं करती है। किसी व्यक्ति की हत्या होती है, तो पुलिस तुरंत उसे गिरफ्तार करती है। कारण इसके लिए कानून है और उसी कानून के तहत उस पर धारा भी लगाती है, जरूरत पड़ने पर फास्ट ट्रैक कोर्ट में भी मामला चलता है। अब जब गोहत्या का कानून बन गया है, तो क्या इसकी हत्या करनेवाले हत्यारे नहीं है। फिर क्यों पुलिस इन हत्यारों पर दबोचने में विफल रह रही है। देश का हर नागरिक कानून को मानने के लिए बाध्य है, ऐसे में पुलिस इस कानून का सख्ती से पालन क्यों नहीं करा पा रही है।
    जब खुलेआम प्रतिबंधित मांस की बिक्री, तो प्रतिबंध का टैग कैसा : राजधानी रांची की ही बात करें, तो कई इलाकों में खुलेआम गोहत्या कर मांस की बिक्री की जा रही है। चाहे बात सत्तार कॉलोनी की हो, या फिर बड़गार्इं, हिंदपीढ़ी या कसाई मुहल्ले की। इसके अलावा शहर के कई इलाकों में गौ मांस पकड़ा जा रहा है। इसके बावजूद कारोबार बंद नहीं हो रहा है। इसमें कहीं ना कहीं पुलिस की लाचारी एक कारण है।

    ऐसा नहीं है, तो आप याद कीजिये राजधानी रांची के कसाई मुहल्ले में स्थित अवैध बूचड़खानों पर दिल्ली से आयी एनिमल वेलफेयर बोर्ड आॅफ इंडिया की टीम ने छापा मारा, जिसमें टीम ने पांच टन गौ मांस बरामद किया था। हालांकि इस टीम को विरोध भी झेलना पड़ा था।

    दिल्ली की टीम ने भी पुलिसिया कार्यशैली पर उठाये थे सवाल : दिल्ली से आयी एनिमल वेलफेयर बोर्ड आॅफ इंडिया की टीम में शामिल नितिशा, नीरू गुप्ता और पूनम कपूर ने कहा था कि अवैध स्लॉटर हाउस थाना से 200 मीटर की दूरी पर है, जब छापेमारी करने उनकी टीम पहुंची, तो स्थानीय पुलिस वालों ने सहयोग नहीं किया। उलटे छापेमारी दल को काफी देर तक थाना में रोके रखा गया। जब पुलिस फोर्स की मांग की गयी, तो फोर्स के तैयार होने की बात कह कर देर करते रहे। इसके बाद एसएसपी को इसकी जानकारी दी गयी। इसके बाद पुलिस हरकत में आयी। मामले को लेकर अज्ञात आरोपियों के खिलाफ अवैध स्लॉटर हाउस चलाने और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने सहित अन्य आरोप में केस दर्ज किया गया है।

    खुफिया की रिपोर्ट में भी खुलासा: मालामाल हो रही पुलिस
    प्रतिबंधित मांस के कारोबार को लेकर खुफिया विभाग ने पुलिस मुख्यालय को कुछ वर्ष पहले एक रिपोर्ट में बताया था कि डोरंडा, लोअर बाजार और हिंदपीढ़ी थाना क्षेत्र में प्रतिबंधित मांस का कारोबार चलता है। इस पर जिला प्रशासन का किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं है। प्रतिबंधित मांस के कारोबार में थाना प्रभारी और कर्मी भी लाभान्वित होते हैं, इसकी विस्तृत जांच की जानी चाहिए।

    क्या कहता है कानून : 2015 में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने झारखंड में गो हत्या और गो मांस के व्यापार पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया था। इस कानून के तहत झारखंड में गोहत्या के लिए 10 साल की जेल और 10 हजार रुपये का जुर्माना लग सकता है। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद तत्कालीन मुख्य सचिव राजीव गौबा ने सभी जिले के उपायुक्तों को पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि झारखंड में गोहत्या दंडनीय है। इसे कड़ाई से लागू किया जाये, लेकिन यह कानून पुलिस के लिए सिर्फ कागज की शोभा बनकर रह गया है।

    मात्र दो परिस्थितियों में ही गो हत्या मान्य : असाध्य बीमारी और अत्यंत पीड़ा होने की स्थिति में ही गो हत्या गलत नहीं होगी। इन दोनों परिस्थितियों के अलावा किसी भी अन्य स्थिति में गो हत्या दंडनीय अपराध है।

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