रांची। एक देश एक चुनाव की दिशा में बात आगे बढ़ रही है। इसी कड़ी में 2019 में होनेवाले लोकसभा चुनाव के साथ झारखंड-बिहार समेत 11 राज्यों के विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। खास बात यह है कि ऐसा करने के लिए सरकार को संविधान में संशोधन करने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। एक देश एक चुनाव की तर्ज पर लोकसभा चुनाव के साथ उन राज्यों में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं, जहां लोकसभा से छह महीने पहले और छह महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव आयुक्त ने कहा है कि यदि राज्य चाहें और सहयोग करें, तो इस दिशा में सार्थक पहल की जा सकती है। क्योंकि चुनाव आयोग एक साथ इतने चुनाव करा पाने में सक्षम नहीं है। इसलिए जरूरी है कि इसके लिए राज्य सहयोग करें। जिन राज्यों में लोकसभा से कुछ माह पहले चुनाव होने हैं, वहां विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने पर कुछ माह तक राष्ट्रपति शासन भी लगाया जा सकता है, ताकि दोनों चुनाव साथ ही करायें जा सकें।
झारखंड विधानसभा का कार्यकाल दिसंबर 2019 में पूरा हो रहा है। यदि लोकसभा के साथ विधानसभा का चुनाव होता है, तो झारखंड समेत तीन राज्यों में समय पूर्व चुनाव होंगे। इनमें झारखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र शामिल हैं। इन राज्यों में सभी जगहों पर भाजपा की सरकार है। ऐसे में संभव है कि भाजपा वन नेशन वन इलेक्शन के तहत लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव करवाये। यहां यह बताना जरूरी है कि भाजपा की तरफ से एक देश एक चुनाव के पक्ष में आठ पन्ने का हलफनामा भी कानून आयोग को दिया गया है। इस दिशा में भाजपा और सरकार के सूत्र 2019 में आगे बढ़ने का इशारा कर रहे हैं। अगले कुछ महीने में इस दिशा में केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और 11 राज्य एक साथ आगे बढेÞं, तो एक देश एक चुनाव की दिशा में यह बड़ा कदम हो सकता है।
इन राज्यों में हो सकते हैं लोकसभा के साथ चुनाव : यदि एक देश एक चुनाव पर सहमति बनती है, तो झारखंड, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम, ओड़िशा, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, हरियाणा और महाराष्ट्र में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव हो सकते हैं।
अमित शाह के पत्र से मुद्दे ने जोर पकड़ा : देश भर में एक साथ चुनाव कराने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ चुकी है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इस मुद्दे पर विधि आयोग को पत्र लिखकर एक बार फिर इस मुद्दे को गरमा दिया है। अब इस मसले पर मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत की टिप्पणी भी सामने आ गयी है। रावत ने कहा है कि वर्तमान परिदृश्य में पूरे देश में एक साथ चुनाव संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर चरणबद्ध तरीके से कराया जाये, तो कई राज्यों के चुनाव आम चुनावों के साथ संभव हैं। चुनाव आयुक्त ने कहा कि देश में पहले चार चुनाव एक साथ ही थे। अगर कानून में संशोधन हो, मशीनें पर्याप्त हों और सुरक्षाकर्मी जरूरत के हिसाब से हों, तो ऐसा संभव है। कहा कि राज्य अगर सहमत हो जायें, तो एक साथ चुनाव कराना संभव है।
2015 में ही चुनाव आयोग दे चुका है व्यापक सुझाव: सीइसी
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि एक साथ चुनाव को लेकर चुनाव आयोग 2015 में ही व्यापक सुझाव दे चुका है। आयोग बता चुका है कि इसके लिए संविधान और जनप्रतिनिधित्व कानून में कौन-कौन से संशोधन कराने होंगे। उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव कराये जा सकते हैं। 1967 तक देश के पहले चार चुनाव एक साथ हुए हैं।