रामगढ़। रामगढ़-रांची मार्ग पर चुटुपालू घाटी में 24 घंटे में भी एक टैंकर की आग नहीं बुझ पायी। इस कारण रांची से बिहार और यूपी का सीधा संपर्क टूट गया। दूसरी ओर चुटुपालू घाटी में 24 घंटे का महाजाम लगा। दुर्घटना में एक साथ नौ वाहन आग के शिकार हुए हैं।
जानकारी के अनुसार 30 जुलाई की रात आठ बजे रांची से साहेबगंज जा रही आशीर्वाद नामक वातानुकूलित बस घाटी में दुर्घटनाग्रस्त हो गयी। दुर्घटना का कारण पीछे से एक टेलर द्वारा बस को जोरदार धक्का मारना था। बस में सवार सभी यात्रियों को सुरक्षित उतारा ही जा रहा था कि बस में आग लग गयी। बस की आग की लपटें इतनी तेज उठीं कि पीछे खड़े ट्रेलर एवं कई छोटी कारों को अपनी चपेट में ले लिया। इस आग की लपट धीरे-धीरे दुर्घटनाग्रस्त गैस टैंकर को अपनी चपेट में ले लिया। टैंकर के निकट रांची से रामगढ़ की ओर आ रही एक एंबुलेंस को भी आग ने अपनी चपेट में ले लिया। एंबुलेंस में सवार लोग तो किसी तरह घायल होने के बावजूद बाहर निकल आये, लेकिन एंबुलेंस में रखा मृत व्यक्ति का शव पूरी तरह से जल गया। बताया गया कि एंबुलेंस में मृत व्यक्ति जो आग की चपेट में आकर पूरी तरह जल गया, उसका नाम मंसुद्दीन मिया (गिरिडीह निवासी) था। दुर्घटनास्थल पर आग ने नौ छोटे-बड़े वाहनों को अपनी चपेट में ले लिया। इसमें आशीर्वाद बस, एक कार, 2 ट्रेलर, एक ट्रक, एक बाइक, एक मारुति वैन, एक गैस टैंकर पूरी तरह से जल गया। दुर्घटना की खबर पूरे राज्य में आग की तरह फैली। सूचना पर राज्य का मुख्यालय सक्रिय हुआ। रांची एवं रामगढ़ के डीसी और पुलिस अधीक्षक को सक्रिय होने का आदेश हुआ। देर रात रामगढ़ की उपायुक्त राजेश्वरी बी एवं पुलिस अधीक्षक ए विजयालक्ष्मी घटनास्थल पर पहुंचीं। इसके बाद रांची और रामगढ़ जिला की 10 फायर ब्रिगेड की गाड़ी घटनास्थल पर पहुंची। फायर ब्रिगेड की टीम ट्रक और बसों में लगी आग को तो बुझाने में सफलता पायी, लेकिन टैंकर में लगी आग को बुझाने में 24 घंटे लग गये। टैंकर में लगी आग की भयावहता को देखते हुए सरकार ने एनडीआरएफ और आइओसीएल की टीम को पहुंचने का निर्देश दिया। वहीं दिन के दो बजे अधिकारियों का दल घटनास्थल पहुंचा। इसमें एनएचएआइ के पीडी अजय कुमार, रामगढ़ उपायुक्त राजेश्वरी बी और अन्य अधिकारी शामिल थे।
तंत्र फेल या संसाधन नहीं
इस घटना के बाद सवाल लाजिमी है कि आखिर हम किस युग में जी रहे हैं। 21वीं सदी में भी क्या ऐसी व्यवस्था नहीं हो पायी है कि एक टैंकर की आग पर तुरंत काबू पाया जा सके। इस घटना ने तो कुछ इसी तरह की सच्चाई बयां की है। इससे दो ही चीजें सामने आ रही है कि या तो तंत्र फेल है, या फिर संसाधन की कमी है। सवाल यह भी है कि जब गैस टैंकर 30 जुलाई को दोपहर में पलटा था, उस वक्त एहतियातन कदम क्यों नहीं उठाये गये। समय रहते अगर प्रशासन सचेत हो जाता, तो वहीं पर बस दुर्घटना नहीं होती, इतना बड़ा हादसा नहीं होता और उसमें हजारों लोग नहीं फंसते।

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