आमिर खान का विवादों से पुराना नाता है. वो कम फिल्में करते हैं, लेकिन फिल्मों से ज्यादा विवाद उनके साथ चल पड़ते हैं. आमिर कभी अवार्ड्स फंक्शन में नहीं जाते. कभी अमिताभ और शाहरुख पर टिप्पणी करके आमिर फंस जाते हैं तो कभी फिल्मों के पब्लिसिटी स्टंट की वजह से वो चर्चा में आ जाते हैं. फिल्म पीके के कुछ सीन की वजह से वो हिंदू धर्मावलंबियों के निशाने पर भी आए.
अब एक बार फिर आमिर खान सुर्खियों में बने हुए हैं. वजह है उनका टर्की के राष्ट्रपति की पत्नी से मिलना. इस बारे में टर्की के राष्ट्रपति की पत्नी एमीन एर्दवान ने ट्वीट कर बताया. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा- दुनिया के जाने माने भारतीय अभिनेता, फिल्मकार और निर्देशक आमिर खान इस्तांबुल में हैं ये हमारे लिए बहुत खुशी की बात है. मुझे ये जानकर खुशी हुई कि आमिर खान ने अपनी नई फिल्म लाल सिंह चड्ढा की शूटिंग टर्की के तमाम हिस्सों में करने का फैसला किया है. इसके बाद से ही आमिर खान जमकर ट्रोल होना शुरू हो गए. आइए बताएं किन वजहों से पहले आमिर खान कर चुके हैं विवादों का सामना.
पीके में शंकर भगवान को दौड़ाने का सीन
फिल्म पीके के इस सीन को यूं तो स्टोरी की डिमांड कहा गया, लेकिन सवाल उठे कि मनोरंजन के नाम पर देवी देवताओं का अपमान भला क्यों किया जा रहा है. आमिर खान पर इस सीन को लेकर सवालों की बौछार हो गई थी. धर्मगुरुओं ने उन्हें कठघरे में खड़ा कर दिया. आज एक बार फिर ये सीन लोगों को याद आया, जब सोशल मीडिया पर आमिर खान की तस्वीरें टर्की की फर्स्ट लेडी के साथ वायरल हुईं.
असहिष्णुता का मुद्दा
आमिर खान का विवादों से नाता बहुत पुराना है. करीब 5 साल पहले आमिर खान विवादों में तब आए, जब उन्होंने असहिष्णुता के मसले पर ये कह दिया था कि उनकी पत्नी को भारत में रहने में डर लगता है. इस बयान के बाद आमिर खान को विरोध का सामना करना पड़ा था. उनका ये बयान सरकार को भी हजम नहीं हुआ था. शायद यही वजह है कि जनवरी 2017 में आमिर खान को इनक्रेडिबल इंडिया (अतिथि देवो भव) के ब्रांड एंबेसडर पद से हटा दिया गया था.
नेतन्याहू से इवेंट में मिले बॉलीवुड स्टार्स
जनवरी 2018 में इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बॉलीवुड के इवेंट में तमाम सितारों से मुलाकात की थी. लेकिन इस इवेंट में आमिर खान ने हिस्सा नहीं लिया था, इसको लेकर वो सवालों के घेरे में आए थे.
नर्मदा बचाओ आंदोलन में मेधा पाटकर के साथ
2006 में आमिर खान ने नर्मदा बचाओ आंदोलन को अपना समर्थन दिया. मेधा पाटकर के साथ वो धरने पर भी बैठे. उनके इस कदम को लेकर उनका जबर्दस्त विरोध हुआ. उस समय गुजरात में उनकी फिल्में थिएटर में नहीं लगने दी गईं थी.