गढ़वाल रायफल्स के हवलदार राजेंद्र सिंह (35) का शव सात महीने बाद देहरादून में बरामद हुआ है. राजेंद्र सिंह जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग में लाइन ऑफ कंट्रोल (एलएसी) पर पैट्रोलिंग के दौरान एवलांच का शिकार हो गए थे. पिछले 7 महीने तक उनका कोई पता नहीं चला लेकिन शनिवार को राजेंद्र सिंह के परिवार को बरामदगी की सूचना दी गई.
राजेंद्र के परिजनों के मुताबिक, सेना ने मई महीने में राजेंद्र सिंह की ‘बैटल कैजुएलिटी’ (युद्ध में शहीद) की घोषणा की थी. इस महीने के शुरू में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राजेंद्र की पत्नी को सांत्वना संदेश भी भेजा था. लेकिन राजेंद्र की पत्नी यह मानने को तैयार नहीं थीं कि उनके पति की शहादत हो गई है क्योंकि शव बरामद नहीं हुआ था. ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने इस बात की जानकारी दी.
राजेंद्र सिंह अपने चार भाई-बहनों में सबसे बड़े थे. साल 2001 में उन्होंने गढ़वाल रायफल्स जॉइन की थी. राजेंद्र सिंह को दो बेटियां और एक बेटा है. राजेंद्र के चचेरे भाई और पूर्व फौजी दिनेश नेगी ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा, राजेंद्र पिछली बार 2019 में दिवाली पर घर आए थे. बाद में जब लौट कर गए तो उन्हें गुलमर्ग में एलओसी पर ड्यूटी मिली. इस साल 9 जनवरी को सेना की ओर से हमें सूचना मिली कि राजेंद्र एवलांच की घटना में कहीं गुम हो गए हैं.
दिनेश नेगी ने कहा, सेना ने तीन दिन तक काफी खोजा लेकिन राजेंद्र कहीं नहीं मिले, इसके बाद हमारी सारी उम्मीदें खो गईं. सेना में ड्यूटी के दौरान मैंने सियाचीन में सेवा दी है, इसलिए मुझे पता है कि बर्फ में दबकर कोई दो दिन से ज्यादा जिंदा नहीं रह सकता है. मैंने यह बात राजेंद्र के परिवार को भी बताई. लेकिन उनकी पत्नी राजेश्वरी यह मानने को तैयार नहीं थीं क्योंकि शव बरामद नहीं हुआ था. राजेंद्र की तलाश तेजी से बढ़ाने के लिए हम लोगों ने रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से भी संपर्क किया था. दिनेश नेगी 2015 में नायक पद से रिटायर हुए हैं.