आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। झारखंड सरकार ने पिछड़े वर्ग की 36 जातियों को केंद्रीय सूची में शामिल कराने की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए राज्य सरकार जल्दी ही केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को प्रस्ताव भेजेगी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इससे संबंधित प्रस्ताव को शनिवार को मंजूरी दे दी है। झारखंड में ये सभी जातियां बीसी-वन और बीसी-टू में शामिल हैं, लेकिन केंद्रीय सूची में शामिल नहीं होने की वजह से इन्हें केंद्र सरकार और केंद्रीय उपक्रमों की नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
इन जातियों को शामिल करने का प्रस्ताव
1. कुड़मी, 2. माहिस्य, 3. मगदा, गौड़ महाकुड़/ गोप, ग्वाला, 4. चंद्रवंशी-रवानी, 5. हजाम, 6. बारी, 7. बागची, 8. राजभट, 9. शाह, फकीर, मदार, देवान, 10. शेख, 11. कुम्हार-कुंभकार, 12. सोय, 13. तिली-एकादश, तिली-द्वादश, तेली-द्वादश तेली, 14. वागाल, खंडवाल, खंडुवाल, खंडाइत, 15. खैरा, 16. परघा-परीधा-पैरधा-पलीआर, 17. मड़ैया, 18. कुलु-गोराई, 19. सुंडी, 20. वीयार, 21. वेश-बनिया एवं एकादश बनिया, 22. ग्वाला/मुस्लिम, 23. जदुपतिया, 24. गोसाई, गिरि संन्यासी, अतित, अतिथ, 25. परथा, 26. बनिया, रॉकी एवं बियाहूत कलवार, जयसवाल, जैशवार, कमलापुरी, वैश्य, बनिया, माहुरी, वैश्य, बंगी वैश्य, वर्णवाल, गधबनिक-गधबनिया, ओमर-उमर वैश्य, वर्णवाल-गंधबनिया, गंधबनिक-ओमर-उमर वैश्य, बनिया, बनवार, 27. घासी महाकुल-म्हकुल, 28. सुवर्ण वणिक, अष्टलोही कर्मकार, स्वर्णकार, 29. सूत्रधार, 30. जैसवार कुर्मी एवं चंदेल कुर्मी, 31. राजभाट-ब्रह्मभाट, 32. वैष्णव, 33.पाइक, 34. चासा, 35. क्याली, 36. मलिक-मुस्लिम