Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Thursday, June 19
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Jharkhand Top News»नियम तो बनाया, सख्ती से लागू भी करा दो सरकार
    Jharkhand Top News

    नियम तो बनाया, सख्ती से लागू भी करा दो सरकार

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskAugust 28, 2020No Comments5 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    झारखंड में कोरोना संक्रमण का पहला मामला मिलने के पांच महीने बाद राज्य सरकार ने स्वास्थ्य के मोर्चे पर बड़ा कदम उठाया है और निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज की अधिकतम दर तय कर दी गयी है। सरकार ने सख्त ताकीद की है कि यदि निर्धारित दर से अधिक रकम मरीजों से वसूली गयी, तो कड़ी कानूनी कार्रवाई की जायेगी। झारखंड के लोग राज्य सरकार के नये नियम से राहत की सांस ले रहे हैं, क्योंकि अब तक उन्हें कोरोना संक्रमण के साथ निजी अस्पतालों में इलाज के खर्च का डर भी सता रहा था। लेकिन लोग इस बात को लेकर सशंकित हैं कि कहीं सरकार का यह नियम भी लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की तरह केवल दिखाने भर के नहीं रह जायें। अक्सर यह देखने में आता है कि नियम तो सरकार बना देती है, लेकिन उसे लागू करने में उतनी गंभीरता नहीं दिखायी जाती। डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर रोक और निजी अस्पतालों में सामान्य मरीजों के इलाज में बरती जा रही लापरवाही के खिलाफ सरकारों की चेतावनी का हश्र झारखंड के लोग देख चुके हैं। इसलिए नियम बना देने भर से सरकार की जिम्मेदारी खत्म नहीं हुई है। अभी इस नियम को लागू कराना बड़ी चुनौती है, क्योंकि पैसा कमाने के उद्देश्य से अस्पताल चला रहे व्यवसायी नया तरीका तलाश सकते हैं। सरकार द्वारा नियम बनाने और उसके संभावित असर-परिणाम का विश्लेषण करती आजाद सिपाही ब्यूरो की खास रिपोर्ट।

    बुधवार की शाम जब झारखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से निजी अस्पतालों में कोरोना के मरीजों के इलाज की दर तय करने की सूचना आयी, एक सहयोगी ने कहा, यह झारखंड है। यहां नियम लागू होने से पहले उसका तोड़ खोजा जाता है। इसलिए इस नियम का बहुत अधिक लाभ लोगों को नहीं मिलनेवाला है। उस सहयोगी की बात गुरुवार को उस समय सही साबित हुई, जब गुरुवार को राजधानी के एक बड़े अस्पताल के प्रबंधक ने कहा कि यह अच्छा फैसला है और निजी अस्पतालों पर नियंत्रण के लिए पर्याप्त है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस नियम को लागू कैसे कराया जायेगा, यह देखना अभी बाकी है। उस प्रबंधक ने बड़ी बेबाकी से कहा कि यदि अस्पताल चाह ले, तो दुनिया का कोई भी नियम-कानून उसे मनमानी करने से नहीं रोक सकता है। उसने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहा कि मरीज से अनाप-शनाप रकम वसूलने के लिए अस्पताल के पास बहुत से उपाय हैं। सरकार ने जो नियम बनाया है, वह केवल अस्पताल से जुड़ी व्यवस्था के लिए है। डॉक्टर, दवाई और दूसरी किस्म की जांच के लिए नियम नहीं तय किये गये हैं। उसने कहा, अस्पतालों पर कोई भी नियम तभी लागू किये जा सकते हैं, जब आपसी विश्वास हो।
    प्रबंधक ने जिस बेबाक ढंग से अपनी बात कही, उससे साफ हो गया कि सरकार के नियमों की निजी अस्पतालों को परवाह नहीं है। उस प्रबंधक ने हालांकि कहा कि नये नियम से मरीजों को थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन हकीकत में उन्हें कुछ हासिल नहीं होगा, क्योंकि निजी अस्पताल दूसरे मद में उनसे भारी-भरकम रकम वसूल ही लेंगे।
    यदि सचमुच ऐसा है, तो राज्य सरकार को इस बारे में सतर्क हो जाना चाहिए। अस्पताल में कोरोना के मरीज के इलाज की दर तय कर दी गयी है, लेकिन इस प्रबंधक की बातों के बाद इसे लागू होने पर संदेह उठना स्वाभाविक है। झारखंड के लोगों का यह अनुभव रहा है कि यहां नियमों का खुला उल्लंघन सामान्य बात है। तभी तो आज भी लॉकडाउन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क-सेनिटाइजर के अनिवार्य इस्तेमाल का नियम कहीं कूड़े में पड़ा दिखाई देता है। नियम तो हर चीज के लिए बनाये गये हैं। राज्य में पान मसाला और गुटखा पर प्रतिबंध लागू है, लेकिन ये उत्पाद धड़ल्ले से बिक रहे हैं और वह भी दोगुने दाम पर। बिहार में शराब पर प्रतिबंध है, लेकिन हर दिन शराब पीने से लेकर बेचे जाने तक की खबरें आती हैं। झारखंड में बाइक पर तीन लोगों के सवार होने पर रोक का नियम है, लेकिन लोग इसका खुलेआम उल्लंघन करते हुए दिख जायेंगे।
    इन उदाहरणों के बाद यह सवाल उठना स्वाभाविक हो जाता है कि निजी अस्पतालों के लिए जो नियम बनाया गया है, वह कितनी सख्ती से लागू किया जायेगा। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि झारखंड सरकार ने कोरोना काल में स्वास्थ्य के मोर्चे पर यह सबसे बड़ा कदम उठाया है। लेकिन नियम बना देने भर से उसकी चुनौती खत्म नहीं हो गयी है। इस नियम को लागू कराना सरकार के सामने कहीं अधिक बड़ी चुनौती है, क्योंकि नोट छापने के उद्यमों में तब्दील हो चुके निजी अस्पतालों के पास दर्जनों ऐसे रास्ते हैं, जिनके जरिये वे मरीजों से मनमानी रकम वसूल कर सकते हैं। इसके अलावा विभागीय भ्रष्टाचार भी इस नियम को लागू करने के रास्ते में बड़ी बाधा बन सकता है। यदि कोई अस्पताल तय दर से अधिक रकम वसूल करेगा, तो उसकी शिकायत कौन सुनेगा और उस अस्पताल पर कार्रवाई की हिम्मत कौन दिखायेगा, यह सवाल भी है।
    ऐसे में राज्य सरकार को तत्काल इस नियम को सख्ती से लागू करने और आम लोगों को राहत पहुंचाने के लिए इसकी सख्त मॉनिटरिंग की व्यवस्था करनी होगी। हर शहर में इसके लिए एक कमिटी बनायी जा सकती है, जो किसी भी अस्पताल के खिलाफ शिकायत पर तत्काल एक्शन ले सके। इस कमिटी को सरकार की लालफीताशाही से पूरी तरह मुक्त रखना होगा। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि कमिटी किसी के भी प्रभाव के आगे झुक नहीं सके। इसके अलावा नया नियम लागू करने के लिए प्रशासनिक स्तर पर भी कुछ कड़े कदम उठाने होंगे। निजी अस्पतालों का औचक निरीक्षण और उनके द्वारा वसूली गयी रकम की नियमित जांच से भी इस काम में मदद मिल सकती है। इस काम में डॉक्टरों की सक्रिय भूमिका और आम लोगों की जागरूकता भी बहुत उपयोगी साबित हो सकती है। राज्य सरकार की ओर से जब तक इस तरह के सख्त कदम नहीं उठाये जायेंगे, निजी अस्पतालों की मनमानी पर अंकुश लगाना मुश्किल ही रहेगा।

    implement the government strictly Made the rules
    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous ArticleWHO ने कहा- जिन लोगों में कोविड-19 के लक्षण नहीं, उनकी जांच भी जरूरी
    Next Article सुशांत सिंह राजपूत के परिवार से मिले अठावले
    azad sipahi desk

      Related Posts

      फ्लाईओवर का नामकरण मदरा मुंडा के नाम पर करने की मांग

      June 18, 2025

      पूर्व पार्षद सलाउद्दीन को हाई कोर्ट से मिली अग्रिम जमानत

      June 18, 2025

      झारखंड मंत्रिपरिषद् की बैठक 20 को

      June 18, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • फ्लाईओवर का नामकरण मदरा मुंडा के नाम पर करने की मांग
      • पूर्व पार्षद सलाउद्दीन को हाई कोर्ट से मिली अग्रिम जमानत
      • झारखंड मंत्रिपरिषद् की बैठक 20 को
      • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के साथ प्रशिक्षु अधिकारियों की शिष्टाचार भेंट
      • हिमाचल के लिए केंद्र से 2006 करोड़ रुपये की मंजूरी, जेपी नड्डा ने जताया आभार
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version