75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मोदी सरकार कुछ ऐसे नायकों को सम्मानित करेंगी जिनका योगदान काफी अहम था लेकिन इतिहास के पन्नों में वे नाम कहीं गुम हो गये थे। ऐसे ही कई गुमनाम नायक के योगदान को रेखांकित करने के लिए कई कार्यक्रम व्याख्यान आयोजित किए जाएंगे। सरकार ने आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के दौरान 75 क्षेत्रीय, छह राष्ट्रीय दो अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों की योजना बनाई है। इन नामों को अलग-अलग सरकारी विभागों केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद द्वारा संकलित किया गया है।
आईसीएचआर के डायरेक्टर ओम जी उपाध्यान ने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल मार्च में भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में 75-सप्ताह के लंबे कार्यक्रम ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ को हरी झंडी दिखाई, तो उन्होंने यजुर्वेद के एक श्लोक का उल्लेख किया. इसके माध्यम से उन्होंने (प्रधानमंत्री मोदी) संदेश दिया कि पिछले सात दशकों में हमने उन लोगों को सेलिब्रेट करने के कुछ अवसर गंवाए हैं, जिन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका के लिए अभी तक कोई स्वीकृति (सम्मान) नहीं मिली है। इसलिए आईसीएचआर ने हमारे गुमनाम नायकों के जीवन उनके योगदान का जश्न मनाने के लिए एक त्रि-स्तरीय कार्यक्रम की योजना बनाई है।
बताया जा रहा है कि 146 नामों को उनके मूल राज्य द्वारा चुनकर भेजा गया है इस लिस्ट में छोटी जनजातियों जातियों के नायक भी भी शामिल हैं। गुमनाम नायकों की लिस्ट में घेलूभाई नाइक, कृषि अर्थशास्त्री मोहनलाल लल्लूभाई दंतवाला, जनसंघ के पूर्व विचारक नानाजी देशमुख कम्युनिस्ट नेता रवि नारायण रेड्डी हैं। इस सूची में ओडिशा के लक्ष्मण नायक, झारखंड के तेलंगा खारिया तेलंगाना के कोमाराम भीम जैसे कई आदिवासी नेता भी शामिल हैं। अल्पज्ञात समूहों की सूची में हिंदू महासभा, आंध्र प्रदेश लाइब्रेरी एसोसिएशन, कर्नाटक साहित्य परिषद बंगाल की अनुशीलन समिति शामिल हैं। सरकार ने कम ज्ञात घटनाओं साहित्य की सूची भी तैयार की। पहली सूची में सूरत नमक आंदोलन (1840), कंपनी राज के खिलाफ युद्ध, जिसे सिपाही विद्रोह भी कहा जाता है, (1857-58), बुंदेलखंड प्रतिरोध (1808), रंगपुर किसान विद्रोह (1783) शामिल हैं. वहीं, इसकी दूसरी सूची में एक्षलोक गीता (मराठी पुस्तक, 1910), हिंदू धर्म का झंडा (हिंदी पैम्फलेट 1927), गदर दी गंज (गुरुमुखी, 1910), चौरी चौरा जजमेंट (अंग्रेजी, 1923), इंकलाब (उर्दू, 1927) शामिल हैं.