रांची। झारखंड में स्थानीय भाषाओं के 200 शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसकी घोषणा की है। राज्य सरकार ने तृतीय और चतुर्थ वर्ग की सरकारी रिक्तियों में स्थानीय भाषाओं को अनिवार्य किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि मेरा उद्देश्य सिर्फ सरकारी नौकरियों में ही झारखंड की समृद्ध स्थानीय भाषा को प्राथमिकता देना नहीं है, बल्कि इससे जुड़े पाठ्यक्रम को भी दिशा देकर सशक्त करना है। विभिन्न महाविद्यालयों में संथाली, हो, कुरमाली, खोरठा, मुंडारी आदि भाषाओं पर 200 से अधिक पदों पर शीघ्र नियुक्ति होगी।
दरअसल, राज्य की विभिन्न यूनिवर्सिटी एवं कालेजों में वर्तमान समय में स्थानीय भाषाओं का अध्ययन एवं अध्यापन कार्य क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषा विभाग के अंतर्गत हो रहा है।
पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू की तरफ से सभी यूनिवर्सिटी को कहा गया कि वह अलग-अलग जनजातीय भाषाओं के लिए अलग-अलग विभाग स्थापित करने का प्रस्ताव दें। इसके तहत कालेजों से लेकर विवि तक में विभिन्न भाषाओं के नये विभाग की स्थापना का प्रस्ताव यूनिवर्सिटी की तरफ से झारखंड सरकार के उच्च, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग को भेजा गया। इसमें कालेजों में जनजातीय भाषाओं के नये विभाग खोलने से लेकर यूनिवर्सिटी स्तर पर स्नातकोतर विभाग की स्थापना का प्रस्ताव दिया गया। विवि को अपने पोषक क्षेत्र में बोली जानेवाली जनजातीय भाषाओं के आधार पर ही विषय का चुनाव करने के लिए कहा गया।