85 फीसदी बच्चों की पढ़ाई हुई चौपट
कोरोना महामारी पिछले 18 महीने से अधिक समय में अपना कहर ढाया है। हर तबके पर इसका बुरा असर पड़ा था। खासकर बच्चों की पढ़ाई भी बहुत प्रभावित हुई है। खासकर प्राथमिक स्कूलों के बच्चों की हालत खस्ता है। सरकारी दावों की मानें तो आॅनलाइन पढ़ाई के जरिये शैक्षणिक गतिविधियां चालू हैं पर हकीकत बेहद डरावना है। ज्ञान विज्ञान समिति, झारखंड ने कोरोना काल में प्राथमिक स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई पर महीनेभर (जुलाई-10 अगस्त) तक एक सर्वे किया। मंगलवार को इसे जारी किया गया। 24 में से 17 जिलों में किये गये इस सर्वे के दौरान 115 प्रखंडों के 620 पंचायतों, 877 गांवों और 5118 घरों तक पहुंची। इनमें से 84.27 घरों के बच्चे सरकारी स्कूलों में जबकि 16.32 फीसदी प्राइवेट स्कूलों के मिले। इनमें से 85 फीसदी से भी अधिक ऐसे बच्चे मिले जिन्हें आॅनलाइन पढ़ाई की सुविधा नहीं मिल सकी है। स्मार्टफोन की कमी और स्कूलों, घरों में इंटनरेट की कमी इसकी सबसे बड़ी वजह रही। बच्चों की बर्बाद होती पढ़ाई की चिंता में आस में 92 फीसदी से अधिक अभिभावकों ने स्कूल जल्दी से खोले जाने की गुहार लगायी।
ज्यां द्रेज की पहल पर सर्वे
ज्ञान विज्ञान समिति के राष्ट्रीय सचिव काशीनाथ चटर्जी और संस्था के झारखंड प्रमुख शिवशंकर प्रसाद ने बताया कि कोरोना महामारी के बाद इस साल आयी दूसरी लहर के दौरान जनजागरूकता अभियान चलाया जा रहा था। इसी क्रम में इकोनॉमिस्ट ज्यां द्रेज की सलाह पर प्राथमिक शिक्षा की स्थिति को जानने के लिये सर्वे किया गया।
इन जिलों में हुआ सर्वे
इस क्रम में गिरिडीह, पलामू, धनबाद, कोडरमा, खूंटी, बोकारो, लातेहार, गढ़वा, गोड्डा, दुमका, जामताड़ा, पूर्वी सिंहभूम, साहेबगंज, रामगढ़, लोहरदगा, रांची और पाकुड़ में काम किया गया। आदिवासी, दलित, मजदूर, मुस्लिम और ओबीसी टोले में बच्चों की प्राथमिक शिक्षा पर कोरोना के असर का मूल्यांकन करने की कोशिश हुई। सर्वे में 66 वोलेंटियर्स लगे थे। सर्वे के नतीजे चिंताजनक हैं। आॅनलाइन शिक्षा की हालत दयनीय है। शिक्षा सचिव को समिति ने 23 अगस्त को सारी जानकारी दे दी है। जल्द ही सीएम हेमंत सोरेन से भेंट कर शिक्षा व्यवस्था को लेकर आ रही चुनौतियों, समाधान की जानकारी दी जायेगी।
95 फीसदी बच्चे सरकारी स्कूलों के भरोसे
समिति के मुताबिक राज्य में 28,010 प्राथमिक स्कूल हैं। 15,970 उच्च प्राथमिक और 3,392 माध्यमिक स्कूल हैं। अब भी राज्य के 95 फीसदी बच्चों की पढ़ाई सरकारी स्कूलों के भरोसे ही चल रही है। कोरोना काल में इंटरनेट, स्मार्ट फोन की कमी से बच्चों की पढ़ाई चौपट हुई है। हालत यह है कि पिछले एक महीने की अवधि में 62 फीसदी से अधिक बच्चों की भेंट अपने टीचर से एक-दो बार ही या कभी नहीं हो पायी है।