खूंटी। देश की आजादी के भले ही 75 साल गुजर गये हों और इसकी खुशी में हर ओर जश्न मनाये जा रहे हों और इन 75 वर्षों में देश में विकास के नये आयाम भी स्थापित किए गए हैं। लेकिन विकास के इन मापदंडों के बीच झारखंड के कई ऐसे गांव हैं, जो आज भी बुनियादी सुविधाओं से भी कोसों दूर हैं। इसका जीता जागता उदाहरण है तोरपा प्रखंड की फटका पंचायत का फडिंग गांव, जहां एक महिला रात भर प्रसव पीड़ा से तड़पती रही, पर फटका बनई नदी में बाढ़ आ जाने के कारण गर्भवती को सही समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका और जब तक महिला अस्पताल पहुंचती, तब तक उसके गर्भ में पल रहा शिशु दम तोड़ चुका था।

तोरपा प्रखंड की फटका पंचायत का फड़िंगा गांव महज एक पुल के अभाव में बरसात के दिनों में दूसरे गांवों से कट जाता है। पूरा गांव टापू में तब्दील हो जाता है। गुरुवार की रात फड़िगा गांव की एक महिला को प्रसव पीड़ी हुई। रात भर पर प्रसव पीड़ा में तड़पती रही। शुक्रवार को गांव के कुछ लोगों ने प्रसव पीड़ा से कराहती गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाने के लिए जुगाड़ पद्धति से एक डोली बनायी और डोली को कंधों पर ढोकर ग्रामीण पानी से भरी नदी को पारकर फटका गांव पहुंचे।

फटका गांव में 108 एंबुलेंस को बुलाकर गर्भवती महिला को वहां से तोरप रेफरल अस्पताल पहुंचाया गया, जहां महिला ने मृत बच्चे को जन्म दिया। ग्रामीण कहते हैं कि रात को ही यदि महिला अस्पताल पहुंच जाती, तो संभवतः उसका बच्चा बच जाता। गांव वाले कहते हैं कि बारिश के दिनों में लगभग तीन माह तक फटका नदी में पानी बढ़ जाने से फड़िंगा गांव के ग्रामीणों को गांव से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। बहुत जरूरी काम होने पर ग्रामीणों को नदी में कमर भर पानी को पार करना पड़ता है। इस स्थिति में गांव में अगर कोई बीमार हो जाए, तो उसे इलाज के लिए अस्पताल कैसे पहुंचाते होंगे, ग्रामीण इसकी कल्पना सहज भी की जा सकती है।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version