जयपुर। राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव के नतीजे कांग्रेस की सत्तारूढ़ गहलोत सरकार के लिए अच्छे नहीं रहे। गहलोत सरकार भले ही बजट में युवाओं को तरजीह दे रही हो पर छात्रसंघ चुनाव में कांग्रेस के छात्र संगठन को युवाओं ने नकार दिया है। प्रदेश की 14 यूनिवर्सिटी में पांच पर एबीवीपी, दो पर एसएफआई और सात पर निर्दलीय का कब्जा हुआ है। छात्रसंघ चुनाव में एबीवीपी ने लगभग 336 कॉलेज और यूनिवर्सिटी में अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे, जबकि एनएसयूआई ने 487 कॉलेज और यूनिवर्सिटी में दांव खेला।

इस बार एआईएसएफ (ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन) और एसएफआई (स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया) ने भी कॉलेजों में अपने उम्मीदवार उतारे। एनएसयूआई को राजस्थान के 14 विश्वविद्यालयों में से एक में भी जीत नहीं मिल सकी है। हालात यह है कि न तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में एनएसयूआई को जीत मिली और न ही पीसीसी चीफ डोटासरा के गृह जिले सीकर में। साथ ही सचिन पायलट के अजमेर और टोंक में भी एनएसयूआई को जीत हासिल नहीं हुई। जिन 14 यूनिवर्सिटी में एनएसयूआई चुनाव हारी है, वहां से सरकार के 16 मंत्री आते हैं। इनमें से 14 दिग्गजों का तो उन यूनिवर्सिटी और कॉलेज से सीधा संबंध है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जेएनवीयू के पूर्व छात्र भी हैं। सीकर के एसके कॉलेज में गोविंद डोटासरा ने पढ़ाई की है। इसी तरह राजस्थान विश्वविद्यालय में मंत्री महेश जोशी और प्रताप सिंह अध्यक्ष रह चुके हैं। भरतपुर के महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय खुद विश्वेंद्र सिंह के पूर्वजों के नाम से है। ऐसे में इन सभी यूनिवर्सिटी से ज्यादातर मंत्रियों का जुड़ाव भी है। सत्ताधारी दल का विश्वविद्यालय के चुनाव में कितना इंटरफेयर होता है, यह किसी से छिपा नहीं है। इसके बावजूद भी सत्ताधारी दल के छात्र संगठन एनएसयूआई को हार मिलना बड़े सवाल खड़े करता है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और जोधपुर से सांसद उम्मीदवार वैभव गहलोत के गृह जिले जोधपुर में दोनों विश्वविद्यालय जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय और एमबीएम यूनिवर्सिटी में एनएसयूआई को हार का सामना करना पड़ा। जिस जेएनवीयू में कभी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पढ़ाई की थी, उसमें एसएफआई के अरविंद सिंह भाटी और एमबीएम से निर्दलीय चंद्रांशु खीरीया ने चुनाव जीता। प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के गृह जिले सीकर में शेखावाटी विश्वविद्यालय और जिस एसके कॉलेज डोटासरा ने पढ़ाई की वहां एनएसयूआई की हार हुई। शेखावटी विश्वविद्यालय से एसएफआई के विजेंद्र कुमार ढाका और एस के कॉलेज से भी एसएफआई का ही पैनल जीता है। सचिन पायलट की परंपरागत लोकसभा सीट अजमेर को माना जाता है। अजमेर की महर्षि दयानंद सरस्वती यूनिवर्सिटी से एबीवीपी के महिपाल गोदारा चुनाव जीते हैं, वहीं जिस टोंक विधानसभा से सचिन पायलट अभी विधायक हैं, वहां गवर्नमेंट पीजी कॉलेज टोंक में भी एबीवीपी ने जीत दर्ज की है।

पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह के भरतपुर से महाराजा सूरजमल बृज यूनिवर्सिटी में भी एबीवीपी के हितेश फौजदार चुनाव जीते हैं। मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय के गृह जिले बांसवाड़ा से गोविंद गुरु जनजाति यूनिवर्सिटी बांसवाड़ा में एबीवीपी जीती है। बांसवाड़ा जिले के 9 कॉलेज में से 5 में भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा ने जीत हासिल की है, जबकि दो कालेजों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एवं दो अन्य कालेज में एसटी-एससी-एनएसयूआई गठबंधन ने जीत हासिल की है। गहलोत सरकार में कद्दावर मंत्री शांति धारीवाल के गृह जिले कोटा की कोटा यूनिवर्सिटी में निर्दलीय ने बाजी मारी है। कैबिनेट मंत्री शकुंतला रावत और टीकाराम जूली के गृह जिले अलवर में आने वाली राज ऋषि भर्तहरी मत्स्य यूनिवर्सिटी अलवर में भी निर्दलीय ने चुनाव जीता है। अलवर जिले के सबसे बड़े कॉलेज बाबू शोभाराम कला महाविद्यालय से एसएफआई ने बाजी मारी।

सरकार में मंत्री बीडी कल्ला और भंवर सिंह भाटी के गृह जिले बीकानेर में महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी में एबीवीपी जीती है, वहीं बीकानेर वेटरनरी यूनिवर्सिटी से भी निर्दलीय ने बाजी मारी है। बीकानेर जिले की दोनों यूनिवर्सिटी में चुनाव गंवाने वाली एनएसयूआई को हालांकि बीकानेर के सबसे बड़े डूंगर कॉलेज में जीत के तौर पर राहत के छींटे मिले हैं। राजधानी जयपुर में वैसे तो मंत्री महेश जोशी, प्रताप सिंह, लालचंद कटारिया और राजेंद्र यादव मंत्री हैं, लेकिन राजस्थान की सबसे प्रतिष्ठित राजस्थान यूनिवर्सिटी में निर्दलीय ने चुनाव जीता है। वहीं राजस्थान संस्कृत यूनिवर्सिटी और हरदेव जोशी यूनिवर्सिटी में भी निर्दलीयों ने ही बाजी मारी है।

छात्रसंघ चुनाव के परिणाम सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष दोनों के लिए चेतावनी के संकेत हैं। सबसे ज्यादा चिंता कांग्रेस के लिए मानी जा रही है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के छात्र संगठन की हार ने भाजपा को पर्सेप्शन के मोर्चे पर अपर हैंड दे दिया है। प्रदेश की किसी भी बड़ी यूनिवर्सिटी में एनएसयूआई का उम्मीदवार अध्यक्ष पद पर नहीं जीता। यह हालत तब है, जब कांग्रेस के कई विधायक और मंत्री पर्दे के पीछे से सक्रिय थे। राजस्थान यूनिवर्सिटी में तो मंत्री मुरारीलाल मीणा की बेटी बागी होकर चुनाव लड़ रही थी। जोधपुर में अशोक गहलोत के बेटे और आरएसीए अध्यक्ष वैभव गहलोत ने कैम्पस में जाकर प्रचार किया, लेकिन एनएसयूआई की करारी हार हुई। मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र में एनएसयूआई हार गई। एनएसयूआई प्रदेशाध्यक्ष अभिषेक चौधरी भी जोधपुर जिले के हैं, लेकिन वे भी कोई कमाल नहीं दिखा सके। भरतपुर जिले से विश्वेंद्र सिंह, भजनलाल जाटव, जाहिदा और सुभाष गर्ग मंत्री हैं।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version