झामुमो ने बाबूलाल मरांडी पर दूसरा बड़ा ”अटैक” किया है. झामुमो ने एक घर का फोटो मीडिया में जारी करते हुए बाबूलाल मरांडी से सवाल किया है कि वह बताने का कष्ट करें कि इस मकान के वे मकान मालिक थे या किरायेदार. झामुमो के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने पार्टी कार्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता में मकान और मुख्य द्वार का फोटो जारी किया. कहा कि बाबूलाल पूछ रहे थे कि अभी यह कंपनी या है या नहीं. अभी मरांडी के छोटे भाई रमिया मरांडी और सुनील तिवारी की पत्नी निलिमा तिवारी इसके वर्तमान में निदेशक हैं या नहीं. तो झामुमो मरांडी से सवाल करता है कि अभी भले न हों मगर वे अब बताएं कि ये लोग संथाल परगना बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी जो 2005 में बनी थी, समय निदेशक थे या नहीं. बाबूलाल ने पूछा है कि इस कंपनी के माध्यम से एक भी इनवेस्टमेंट या जमीन खरीद-बिक्री की बात हुई हो तो बताएं. तो बाबूलाल इस घर के बारे में बताएं कि वह किनका था. क्या वे इस मकान के मालिक थे, अतिथि थे या किरायेदार. यह जमीन सरकारी थी या निजी. घर कहां है, इसके बारे में नाम, पता और ठिकाना भी बताने का काम करें. अगर वे नहीं बताएंगे तो इन सब बातों को लेकर हम जनता के बीच जाएंगे, क्योंकि बताना तो पड़ेगा ही, क्योंकि अपने संकल्प सिद्धी-रिद्धी यात्रा के जरिए अनाप-शनाप और भ्रमण के दौरान वे-झूठ फैलाने का काम कर रहे हैं. उम्मीद करते हैं कि देर शाम तक उनका इस पर तेजी से और जल्दी ट्विट आ जाएगा.
सुप्रियो ने कहा कि सभी को याद होगा कि 2004 में बाबूलाल ने भाजपा को कोसते-कोसते भाजपा छोड़ी. 2005 में उन्होंने झारखंड विकास मोर्चा का गठन किया. इसके बाद पार्टी को चलाने, चुनाव जीतने के लिए इस कंपनी के द्वारा रुपये का अदान-प्रदान शुरू हुआ. इसकी आड़ में कई तरह के निवेश हुए, कई तरह की जमीनों की खरीद-बिक्री और हस्तांतरण हुआ. राजनीति में विचारों का मेल नहीं खाना अलग बात है और किसी परिवार पर निजी हमला अलग. बाबूलाल मरांडी अब अपना होश-हवास खो कर अनाप-शनाप आक्षेप लगाना शुरू कर दिया है. इसलिए अब झामुमो भी चुप बैठने वाला नहीं है. उन्होंने बाबूलाल को इसके लिए तैयार रहने की चेतावनी दी.