रांची। विश्व हाथी दिवस पर बेंगलुरु में मानव हाथी संघर्ष पर अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता मंत्री बैद्यनाथ राम ने कहा कि हाथी वन्यप्राणी साम्राज्य की प्रमुख प्रजाति है। कुछ समय से मानव की आगे बढ़ने की प्रत्याशा ने दोनों प्रजातियों के बीच संघर्ष की स्थिति उत्पन्न कर दी है। उसके परिणामस्वरूप अप्रिय स्थितियां उत्पन्न हो रही हैं और इससे दोनों पक्षों की जान माल की हानि हो रही है। आयोजन कर्नाटक सरकार की ओर से किया गया। मंत्री वैद्यनाथ राम ने कर्नाटक की वन्यजीव प्रबंधन प्रणाली की प्रशंसा करते हुए कहा कि कर्नाटक में वैज्ञानिक तरीके से वन और वन्यजीव प्रबंधन की एक लंबी और गौरवशाली परंपरा रही है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि झारखंड वनों की भूमि है। राज्य चारों तरफ से हाथियों के प्रवास के अनुकूल क्षेत्र वाले राज्यों से भी घिरा हुआ है। यह परिदृश्य जहां एक ओर उचित वैज्ञानिक वन्यप्राणी प्रबंधन में कठिनाई उत्पन्न करता है, वहीं दूसरी ओर संबंधित राज्यों के बीच आपसी समन्वय के महत्व एवं उसकी आवश्यकता को इंगित करता है। नवीनतम गणना से पता चलता है कि झारखंड में लगभग 600 से 700 हाथियों का बसेरा है।
मानव हाथी संघर्ष से संपत्ति और कृषि की औसत वार्षिक हानि लगभग 60 से 70 करोड़ रुपये प्रति वर्ष है, जिसकी प्रतिपूर्ति झारखंड सरकार मुआवजे के रूप में करती है। ऐसे में व्यावहारिक विकल्पों और रणनीतियों के बारे में सोच कर इन जटिल समस्याओं का समाधान संभव है। इस स्थिति का अपने तरीके से समाधान करने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए वैज्ञानिक निराकरण भर जरूरी है, जिससे मानव सभ्यता और वन्य जीव पर कुप्रभाव न पड़े।