रांची। भाजपा विधायकों ने झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो को पद से हटाने के लिए प्रभारी सचिव को पत्र लिखा है। झारखंड विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम 158 (1) के तहत उन पर कार्रवाई की मांग की है। बता दें कि झारखंड विधासभा सत्र के चौथे दिन बीजेपी विधायकों ने अनुबंधकर्मी और रोजगार के मुद्दे को उठाया और इस पर सीएम को बोलने की मांग की थी। सीएम के नहीं बोलने पर भाजपा विधायकों ने जम कर हंगामा किया था। वहीं स्पीकर द्वारा सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद विधायक देर रात तक वेल में धरने पर बैठे थे। इसके बाद मार्शल से उन सभी को बाहर निकाला गया। इसके बाद काफी देर तक विधायकों ने लॉबी में धरना दिया। लॉबी से बाहर निकालने के बाद विधायकों ने सदन की सीढ़ियों पर रात भर सोये। इसके बाद पांचवें दिन जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई, तो भाजपा विधायक फिर से सदन में हंगामा करने लगे। भाजपा विधायक शशिभूषण मेहता और रणधीर सिंह रिपोर्टर टेबल पर चढ़ गये थे। हंगामे के बीच स्पीकर ने 18 विधायकों को कार्य संचालन नियमावली के तहत 2 अगस्त की दोपहर 12:00 बजे तक के लिए निलंबित कर दिया था।
झारखंड विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम 158 (1) के तहत स्पीकर को हटाने के लिए भाजपा विधायकों ने निम्न संकल्प की सूचना दी।
झारखण्ड विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष ने अपने पद का विवेकपूर्ण उपयोग नहीं करते हुए भाजपा के 18 विधायकों को हेमंत सरकार के इशारे पर निलंबित किया, जो निम्न हैं- अनंत कुमार ओझा, रणधीर कुमार सिंह, नारायण दास, अमित कुमार मंडल, डॉ नीरा यादव, किशुन कुमार दास, केदार हाजरा, बिरंची नारायण, अपर्णा सेनगुप्ता, राज सिन्हा, कोचे मुंडा, भानु प्रताप शाही, समरी लाल, सीपी सिंह, नवीन जयसवाल, डॉ कुशवाहा शशि भूषण मेहता, आलोक कुमार चौरसिया और पुष्पा देवी । झारखंड विधानसभा के फुटेज से स्पष्ट है कि माननीय नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने दिनांक 31.07.2024 को सदन शुरू होते ही युवाओं एवं संविदाकर्मियों के विषय पर चर्चा करवाने एवं माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जवाब दिलवाने का आग्रह किया था और यह बता भी दिया था कि यदि रात को भी रुकना पड़,े तो भी हम तैयार हैं, लेकिन बिना मुख्यमंत्री का जवाब सुने हम लोग नहीं जायेंगे।
झारखंड विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष ने अपने पद का निष्पक्ष रूप से उपयोग नहीं किया और मुख्यमंत्री के हित की रक्षा करते हुए सरकार के इशारे पर झामुमो के एक विधायक सुदिव्य कुमार के द्वारा लाये गये निलंबन प्रस्ताव पर भाजपा विधायकों को निलंबित किया है, जबकि अमूमन इस प्रकार का प्रस्ताव संसदीय कार्य मंत्री सदन में लाते हैं तथा उसके पूर्व में कार्य मंत्रणा समिति की बैठक होती है, जो नहीं हुई। झारखंड विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष ने अपने पद का सही रूप से निर्वहन नहीं करते हुए करीब पांच वर्ष अध्यक्ष की भूमिका में कम झामुमो के कार्यकर्ता के रूप में ज्यादा कार्य किया, इसका प्रमाण है विधानसभा अध्यक्ष रहते 2024 के संपन्न लोकसभा चुनाव में दुमका लोकसभा क्षेत्र में झामुमो का झंडा लगा कर झामुमो प्रत्याशी नलिन सोरेन के पक्ष में चुनाव प्रचार करना। झारखंड विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए झारखंड उच्च न्यायालय की बांग्लादेशी घुसपैठियों को चिह्नित कर वापस भेजने के लिए कार्य योजना शीघ्र बनाने का निर्देश हेमंत सरकार को दिया था, दुर्भाग्य से विधानसभा अध्यक्ष ने उच्च न्यायालय को भी नहीं बख्शा तथा उच्च न्यायालय की भी आलोचना करते हुए सार्वजनिक रूप से कहा कि झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों का कोई मामला ही नहीं है।
झारखंड विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष ने अपने पद पर रहते हुए लगभग चार वर्ष तक भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी सहित कई भाजपा विधायकों को पूर्वाग्रह से ग्रसित रह कर सदन के अंदर बोलने तक नहीं दिया तथा कई विधयाकों की पूरे सत्र के दरम्यान एक बार भी ध्यानाकर्षण की सूचना ग्रहण नहीं किया है।
झारखंड विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष ने अपने पद पर रहते हुए लगातार केंद्र सरकार की आलोचना की, यहां तक कि भाजपा के गोड्डा के सांसद के व्यक्तिगत बयान की भी सदन में चर्चा करा कर झामुमो एवं कांग्रेस के विधायकों को भी उकसाने का काम किया।
झारखंड विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष ने अपने पद पर रहते हुए भाजपा विधायकों पर झूठा आरोप लगाया कि भाजपा विधायकों ने महिला एवं पुरुष मार्शलों के साथ दुर्व्यवहार किया है, इससे दु:खी होकर हम सभी भाजपा विधायक सक्षम न्यायालय में विधानसभा अध्यक्ष के विरुद्ध मानहानि का मुकदमा दायर करेंगे।
झारखंड विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष ने अपने पद पर रहते हुए नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी एवं अन्य विधायकों द्वारा युवाओं को पांच लाख नौकरी तथा स्नातकों को 5000 रुपये तथा स्नातकोत्तरों को 7000 रुपये का बेरोजगारी भता, पारा शिक्षक, सहायक पुलिस, होम गार्ड, आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका एवं रसोइया, पारा मेडिकल कर्मी, मनरेगा कर्मी, पंचायत कर्मी सहित कार्यरत सभी अनुबंध कर्मियों को 2019 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा परमानेंट करने का एवं उनकी समस्त मांगों को पूरा करने का झूठा वादा किया गया था। उन्हीं वादों को याद करते हुए भाजपा के विधायक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सदन में जवाब चाह रहे थे, बजाय जवाब दिलवाने के विधानसभा अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष के साथ रुखा, कड़ा एवं दुर्व्यवहार किया, जो विधानसभा के सीसीटीवी फुटेज में देखा जा सकता है।
उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि झारखंड विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष अपने पद का संवैधानिक दायित्व निर्वहन में असफल रहे हैं।