Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Monday, June 9
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»विशेष»चंपाई के आते ही भाजपा की मंशा स्पष्ट, जेएमएम पर नजर, निशाना कांग्रेस पर
    विशेष

    चंपाई के आते ही भाजपा की मंशा स्पष्ट, जेएमएम पर नजर, निशाना कांग्रेस पर

    shivam kumarBy shivam kumarAugust 31, 2024No Comments9 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    30th August 2024: Former Jharkhand CM and Jharkhand Mukti Morcha (JMM) leader Champai Soren joins Bhartiya Janata Party (BJP) in the presence of Union Minister,and Jharkhand BJP election In-Charge,Shivraj Singh Chouhan with Jharkhand BJP state president, Babulal Marandi,Assam Chief Minister and Jharkhand BJP Co-Election In-Charge,Himanta Biswa Sarma and Former Union Minister,Arjun Munda during Milan Samaroh in Ranchi on Friday.August 30,2024. Photo by Mukesh Kumar Bhatt: PD100017
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    भाजपा में शामिल होते ही चंपाई सोरेन ने कहा जयश्री राम
    जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, झारखंड का चुनावी रण दिलचस्प मोड़ ले रहा है। दल बदलने के दौर की शुरूआत भी हो चुकी है। फिलहाल झारखंड का चुनावी माहौल, सोरेन वन एंड सोरेन टू के इर्द-गिर्द ही घुमड़ रहा है। सोरेन इन, सोरेन आउट का भी खेल बखूबी चल रहा है। लोकसभा चुनाव के दरम्यान भी सोरेन फैक्टर ही हावी रहा। एक सोरेन के जेल जाने के बाद, दूसरे सोरेन मुख्यमंत्री बन गये। फिर लोकसभा चुनाव के दौरान सोरेन परिवार की देवरानी एंड जेठानी भी लाइमलाइट में रहीं। चुनाव में देवरानी ने बाजी मार ली। जब सोरेन वन जेल से बाहर आये, तो सोरेन 2 सीएम पद से हटा दिये गये और सोरेन 1 ने फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। लेकिन जैसे ही सोरेन 1 ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली, सोरेन 2 नाराज हो गये। कुछ दिन बाद उन्हें ज्ञात हुआ कि उनके साथ अन्याय हुआ है। इस अन्याय के खिलाफ उन्होंने बड़ा लंबा पत्र भी लिख डाला। सोरेन 2 कभी दिल्ली, कभी कोलकाता, कभी रांची करते रहे। मीडिया भी उनके पीछे-पीछे भागती रही। तरह-तरह के कयास लगाये जाने लगे। पहले हल्ला हुआ कि सोरेन 2 अपनी पार्टी बनायेंगे। लेकिन अचानक एक तस्वीर ने सोरेन 2 का सस्पेंस खत्म कर दिया। सोरेन 2 भाजपा के सबसे सेकंड पावरफुल मैन के साथ बैठे नजर आये। उसके बाद जैसे ही सोरेन 2 ने मंत्री पद और पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दिया, तभी सोरेन वन ने सोरेन 3 की एंट्री सरकार में मंत्री पद देकर करा दी। सोरेन 3 के एंट्री होते ही सोरेन 2 से उनकी तुलना की की जाने लगी है। खैर सोरेन 2 और सोरेन 3 कोल्हान के रण में आमने-सामने अपना जौहर दिखाते नजर आयेंगे। पता भी चल जायेगा, कौन किस पर कितना भारी है। लेकिन सोरेन 1 भी अपनी चाल लगातार एक स्टेप आगे चलने की सोच रहे हैं। वैसे सोरेन 2 यानी चंपाई सोरेन ने शुक्रवार को धूम-धड़ाके, गाजे- बाजे, लाव लश्कर के साथ भाजपा का दामन थाम लिया है। उन्होंने भाजपा का पट्टा पहन लिया है। बाबूलाल मरांडी ने उन्हें पट्टा पहना कर और सदस्यता पत्र देकर पार्टी में शामिल करवाया। मंच पर भाजपा के तमाम बड़े नेता उपस्थित थे।

    चंपाई सोरेन भाजपा की सदस्यता लेते ही भावुक हो गये। उनकी पीड़ा भी छलक पड़ी। उन्होंने कहा कि एक आंदोलनकारी, जिसने झारखंड के लिए अपना सब कुछ झोंक दिया, उसकी जासूसी करवायी गयी। उनका निशाना राज्य सरकार पर था। चंपाई सोरेन के साथ उनके हजारों समर्थक भी उनके साथ पहुंचे थे। सैकड़ों गाड़ियों का काफिला उनके साथ था। जब वह मंच के करीब आ रहे थे, रांची के धुर्वा गोल चक्कर मैदान का पूरा माहौल ही बदल गया। चंपाई सोरेन जिंदाबाद के नारों से उनके समर्थकों में जोश भर गया। यह नजारा देख मंच पर बैठे हिमंता बिस्वा सरमा मुस्कुरा रहे थे। मन-मन खुद की पीठ थपथपा रहे होंगे। जब चंपाई सोरेन मंच पर पहुंचे, सभी भाजपा के नेताओं ने पूरी गर्मजोशी के साथ उनका स्वागत किया। चंपाई के साथ उनके पुत्र बाबूलाल सोरेन भी थे। उन्होंने भी कोने में जाकर बड़े नेताओं की तरह जनता की ओर हाथ हिलाया। बाबूलाल मरांडी ने चंपाई सोरेन को गले लगाया। उनका दिल खोल कर स्वागत किया। हाथ मिलाया। चंपाई सोरेन भी यह नजारा देख अभिभूत हुए। चंपाई सोरेन की आंखों में एक अलग सी सच्चाई और निश्छलता दिखी। लेकिन एक तड़प भी दिखी, जिसका बखान वह करना चाहते थे। चंपाई ने जैसे ही मंच संभाला, अपनी मंशा स्पष्ट कर दी। चंपाई ने कहा कि जिस आंदोलनकारी ने झारखंड के लिए अपना सब कुछ झोंक दिया, उसकी सरकार द्वारा जासूसी करायी जाती है। छी:छी:छी:। उन्होंने बिना नाम लिये सोरेन वन पर अटैक कर दिया। इसी के साथ उन्होंने अपने मन से सोरेन वन का चैप्टर भी यहीं क्लोज भी कर दिया। उन्होंने एक रणनीति के तहत अपना निशाना कांग्रेस की ओर मोड़ दिया। चंपाई सोरेन ने जिस तरीके से कांग्रेस पर अटैक किया, उससे भाजपा की रणनीति स्पष्ट हो गयी। चंपाई सोरेन ने कहा कि उनके पास दो पार्टियों के विकल्प थे। एक भाजपा दूसरा कांग्रेस। लेकिन मैंने भाजपा को चुना, क्योंकि झारखंड के आदिवासियों को सबसे ज्यादा जिस पार्टी ने उजाड़ा है, नुक्सान पहुंचाया है, गोलियां चलवायी है, वह कांग्रेस ही है। कांग्रेस ने झारखंड आंदोलनकारियों पर सबसे ज्यादा गोलियां चलवायी हैं। कोल्हान में गुआ गोलीकांड हुआ था, वह कांग्रेस ने करवाया था। सभा में चंपाई सोरेन के संबोधन की एक विशेषता दिखी, जहां उन्होंने जोहार से संबोधन शुरू किया, वहीं जय श्रीराम के नारे के साथ अपने वक्तव्य को शेष किया। जिस हिसाब से चंपाई ने कांग्रेस को आड़े हाथों लिया, यह बात साफ हो गयी कि भाजपा भले जेएमएम को घेर रही है, लेकिन उसका असली निशाना और सोरेन सरकार की सबसे कमजोर कड़ी कांग्रेस ही है। चंपाई सोरेन ने एक बार भी मंच से हेमंत सोरेन का नाम नहीं लिया। उन्होंने बस यही कहा कि उन्हें पार्टी में बहुत अपमानित किया गया। यानी चंपाई सोरेन चुनाव में डायरेक्ट सोरेन परिवार और जेएमएम पर अटैक नहीं करेंगे, क्योंकि वह नहीं चाहेंगे कि जेएमएम के कार्यकर्ता उनसे नाराज हों। ठीक है प्रतिस्पर्धा एक अलग चीज होती है, लेकिन डायरेक्ट अटैक एक अलग चीज होती है। चंपाई इन बातों का ध्यान रख रहे हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 16 सीटों पर जीत दर्ज की थी। उसके बाद दो अन्य विधायक बंधु तिर्की और प्रदीप यादव भी कांग्रेस में शामिल हो गये। कांग्रेस की संख्या 18 हो गयी। भाजपा का पूरा फोकस यह होगा कि कैसे कांग्रेस को ज्यादा से ज्यादा क्षति पहुंचायी जाये। चंपाई सोरेन ने कांग्रेस पर निशाना साध यूं ही हवा में तीर नहीं चलाया है।

    इस बयान के मायने यही हैं कि आदिवासी भले जेएमएम से छिटकें न छिटके, कांग्रेस से जरूर दूरी बना लें। चंपाई सोरेन ने जिस तरह से बांग्लादेशी घुसपैठियों के बारे में आदिवासियों को चेताया और बताया कि भाजपा ही संथाल में आदिवासियों को घुसपैठियों से बचा सकती है, उसका निष्कर्ष यही है कि संथाल में भी चंपाई गरजेंगे। चंपाई सोरेन का यह कहना कि आज बाबा तिलका मांझी और सिदो-कान्हू की पावन भूमि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है। इससे दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि जिन वीरों ने जल, जंगल और जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की, आज उनके वंशजों की जमीनों पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं। इनकी वजह से फूलो-झानो जैसी वीरांगनाओं को अपना आदर्श मानने वाली हमारी माताओं, बहनों और बेटियों की अस्मत खतरे में है। आदिवासियों और मूलवासियों को आर्थिक और सामाजिक तौर पर तेजी से नुकसान पहुंचा रहे इन घुसपैठियों को अगर रोका नहीं गया, तो संथाल परगना में हमारे समाज का अस्तित्व संकट में आ जायेगा। पाकुड़, राजमहल समेत कई अन्य क्षेत्रों में उनकी संख्या आदिवासियों से ज्यादा हो गयी है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर झारखंड खासकर संथाल में आदिवासियों के अस्तित्व को बचाना है तो वह भाजपा ही बचा सकती है। इसलिए उन्होंने भाजपा में जाने का फैसला किया। चंपाई संथाल आदिवासी हैं। चंपाई सोरेन का संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठियों पर बोलना बड़ा मैसेज देगा। इसका पूरा फायदा भाजपा लेना चाहेगी। भाजपा कोल्हान से ज्यादा से ज्यादा सीट निकालना चाहेगी। संथाल में भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है। उस पर भी भाजपा का फोकस है। भाजपा जानती है कि संथाल में हेमंत सोरेन को सीधी चुनौती नहीं दी सकती है। लेकिन जितना भी हो ,वह संथाल की सीटों में सेंध लगाने की पूरी कोशिश करेगी। जो आ जाये उसे भाजपा अच्छा ही मानेगी। वैसे बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा अब वहां पर आकार लेने लगा है। वहां के आदिवासी संगठन इस बारे में बात करने लगे हैं। हाल के दिनों में चाहे वह गायबथान का मामला हो, जहां महेशपुर के गायबथान में गांव के दंदु हेंब्रम की जमीन पर सफरुद्दीन अंसारी और कलीमुद्दीन अंसारी सहित अन्य लोग मालिकाना हक का दावा कर रहे थे। जब जमीन मालिक दंदु और परमेश्वर हेंब्रम ने इसका विरोध किया, तो दूसरे पक्ष के दर्जनों लोग जुट गये और उन पर हमला कर दिया। इस दौरान चार लोगों को गंभीर चोटें आयी थीं। चाहे वह केकेएम कॉलेज का मामला हो, जहां आदिवासी छात्रों को पुलिस द्वारा पीटा गया था। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा था कि बांग्लादेशी मुसलमानों की अवैध घुसपैठ के विरुद्ध प्रदर्शन करने वाले युवा छात्रों की देर रात, हेमंत सरकार की पुलिस ने छात्रावास में घुस कर, बर्बरतापूर्वक पिटाई की है। कहने का मतलब यह है कि संथाल में अब आवाजें उठने लगी हैं। लोग इसे लेकर अब चर्चा करने लगे हैं। अगर भाजपा अपनी इस मुहिम को और धार देगी तो संथाल में भाजपा मजबूत होगी, इसमें कोई दो राय नहीं है। अब बात कोल्हान की। चंपाई सोरेन को भाजपा का एक मकसद कोल्हान में संथाली और आदिवासी मतदाताओं के बीच अपनी पैठ मजबूत करनी भी है। चंपाई सोरेन कोल्हान में काफी लोकप्रिय हैं। ग्रामीण इलाकों के आदिवासियों के बीच उनकी पैठ है, यह उनकी सभाओं में आयी भीड़ से भी स्पष्ट हुआ। काफी संख्या में आदिवासी और संथाली महिलाएं सभा में आयी थीं। इस बात का अंदाजा संभवत: सोरेन वन को भी है। इसीलिए उन्होंने चंपाई के भाजपाई बनने के पहले कभी चंपाई सोरेन के काफी करीब रहे संथाली नेता सोरेन थ्री यानी रामदास सोरेन को मंत्री पद से नवाज दिया। इसका साफ संदेश यही है कि रामदास सोरेन चंपाई सोरेन के झामुमो छोड़ने का जो नुकसान हो, रामदास सोरेन के सहारे उसे कंट्रोल किया जायेगा।

    चंपाई के भाजपा में शामिल होने, उनकी जगह रामदास सोरेन को मंत्री बनाने के बाद अब यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि कोल्हान का रण काफी बड़ा होगा। यहां बहुत कुछ देखने को मिलेगा। चंपाई की कोशिश जहां अपनी अहमियत प्रदर्शित करने की होगी, वहीं रामदास सोरेन को सोरेन वन के उस विश्वास पर खरा उतरना होगा, जिसके कारण उन्होंने अपनी कैबिनेट में जगह दी है। कोल्हान से विधायक तो बहुत थे, जिन्हें सोरेन वन मंत्री पद से नवाज सकते थे, लेकिन रामदास सोरेन को मंत्रिपद देने के पीछे सबसे बड़ा कारण यही है कि सोरेन टू के प्रभाव को सोरेन थ्री के सहारे कम किया जाये।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleझारखंड चेंबर का चुनाव 22 सितंबर को
    Next Article देशी कट्टा और तीन जिंदा कारतूस के साथ नेपाली युवक गिरफ्तार
    shivam kumar

      Related Posts

      एक साथ कई निशाने साध गया मोदी का ‘कूटनीतिक तीर’

      June 8, 2025

      राहुल गांधी का बड़ा ‘ब्लंडर’ साबित होगा ‘सरेंडर’ वाला बयान

      June 7, 2025

      बिहार में तेजस्वी यादव के लिए सिरदर्द बनेंगे चिराग

      June 5, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • रांची में कोयला कारोबारी की गोली लगने से मौत, जांच में जुटी पुलिस
      • एक साथ कई निशाने साध गया मोदी का ‘कूटनीतिक तीर’
      • चुनाव आयोग की दोबारा अपील, लिखित शिकायत दें या मिलने आएं राहुल गांधी
      • भारतीय वायु सेना ने किडनी और कॉर्निया को एयरलिफ्ट करके दिल्ली पहुंचाया
      • उत्तर ग्रीस में फिर महसूस किए गए भूकंप के झटके, माउंट एथोस क्षेत्र में दहशत का माहौल
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version