-राजद का भ्रम और डर दोनों बार-बार बोगस साबित हो रहा है : सम्राट चौधरी
पटना। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने शनिवार को दावा किया कि विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान उनका नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है। उनके इस दावे का चुनाव आयोग ने खंडन किया है।
तेजस्वी यादव ने कहा कि अब हम चुनाव कैसे लड़ेंगे? तेजस्वी ने यह आरोप भी लगाया कि जब से यह प्रक्रिया शुरू हुई थी, तब से कोई पारदर्शिता नहीं बरती गई। तेजस्वी ने कहा कि राजनीतिक दलों को सूचित किए बिना ही नाम हटाने जैसे फैसले लिए गए और जब विपक्ष ने सवाल उठाए, तो उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय के सुझावों की भी अनदेखी की गई है।
तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि हर विधानसभा क्षेत्र में करीब 20,000 से 30,000 मतदाता के नाम काटे गए हैं, जो कुल मिलाकर लगभग 8.5 प्रतिशत मतदाताओं की संख्या होती है। उन्होंने दावा किया कि चुनाव आयोग ने न ही हटाए गए मतदाताओं की पूरी जानकारी दी, न एपीक नंबर, न पता और न ही बूथ संख्या, जिससे विश्लेषण करना भी मुश्किल हो गया है।
चुनाव आयोग और पटना जिला प्रशासन ने त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए तेजस्वी यादव के आरोपों को खारिज कर दिया है। पटना के जिलाधिकारी द्वारा जारी आधिकारिक बयान में स्पष्ट किया गया कि तेजस्वी यादव का नाम मतदाता सूची में न केवल शामिल है, बल्कि उनका नाम मतदान केंद्र संख्या 204, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पुस्तकालय भवन, क्रम संख्या 416 पर दर्ज है। पूर्व में उनका नाम मतदान केंद्र संख्या 171, क्रम संख्या 481 पर था। प्रशासन ने इसे भ्रामक बयानबाज़ी करार दिया।
बिहार के उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी इस पूरे मामले को लेकर मैदान में उतर आए हैं। उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट करते हुए तेजस्वी यादव पर हमला बोला। सम्राट चौधरी ने लिखा, “तेजस्वी जी, आपकी योग्यता पर मुझे ही नहीं, आपके परिवार और पूरे बिहार को भी शंका है। एसआईआर ड्राफ्ट में अपना नाम खोजना आपके लिए बहुत मुश्किल लग रहा होगा। आपका नाम 416 नम्बर पर स-सम्मान पिताजी के साथ दर्ज है, आप देख सकते हैं। अब तो भ्रामक और फर्जीवाड़े की दुकानदारी बंद कीजिए।”
उन्होंने आगे लिखा, “राजद का भ्रम और डर दोनों बार-बार बोगस साबित हो रहा है।” सम्राट चौधरी का यह बयान स्पष्ट रूप से तेजस्वी यादव को कटघरे में खड़ा करता है और चुनावी माहौल में सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष के बीच तल्खी को और बढ़ाता है। चुनाव आयोग द्वारा स्पष्टता के बाद यह मामला अब विपक्ष के लिए राजनीतिक रूप से उल्टा पड़ता दिख रहा है और भाजपा इसे ‘झूठ का पर्दाफाश’ बता रही है।