नई दिल्ली। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने शुक्रवार को कहा कि डॉ. अम्बेडकर ने बहुत पहले बता दिया था कि किसी समाज के विकास का पैमाना उस समाज की महिलाओं की स्थिति से जुड़ा होता है। इसी दिशा में सरकार अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं के विकास के लिए निरंतर प्रयास कर रही है।
रिजिजू ने राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा विज्ञान भवन में आयोजित “भारत में मुस्लिम महिलाओं के अधिकार” विषय पर राष्ट्रीय परामर्श बैठक के उद्घाटन सत्र में कहा कि मुस्लिम महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति सशक्त करना, समावेशी विकास की दिशा में एक अहम कदम है। महिलाओं का आर्थिक सशक्तीकरण जरूरी है, जब महिलाएं आर्थिक रूप से सम्पन्न होती हैं तो वे शक्तिशाली भी होती हैं तथा आर्थिक सशक्तीकरण के साथ वे स्वयं ही सामाजिक रूप से भी सशक्त होती हैं। रिजिजू ने कहा कि वे इस परामर्श बैठक से प्राप्त हुई अनुशंसाओं को आगे बढ़ाने में योगदान देंगे।
इस अवसर पर राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने इस परामर्श बैठक को मुस्लिम महिलाओं की आवाज़ नीति-निर्माण तक पहुंचाने का एक सशक्त मंच बताया। उन्होंने कहा कि यह केवल एक आयोजन नहीं है, यह एक प्रयास है उन आवाज़ों को मंच देने का, जिन्हें लंबे समय तक अनसुना किया गया। यह एक साझा संकल्प है कि अब कोई भी महिला, चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि से आती हो, न्याय, सम्मान और मानवाधिकार से वंचित नहीं रहेगी। भारतीय संदर्भ में मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की जब हम बात करते हैं, तो केवल कानून की पुस्तकों को खोलना पर्याप्त नहीं होता। हमें समाज के उन बदलते चेहरे को भी देखना होगा।
उन्होंने कहा कि कानून तब तक जीवंत नहीं होते जब तक वे जनमानस की सोच में न उतरें और सोच तब तक नहीं बदलती जब तक संवाद न हो, जब तक सुनवाई न हो, जब तक मंच न मिले।
इस कार्यक्रम में रिजिजू ने “नया दौर” नामक पुस्तक का विमोचन किया गया। यह पुस्तक राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा प्रकाशित की गयी है, जिसमें मुस्लिम महिलाओं से संबंधित अधिकारों, कानूनों एवं कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी समाहित है। परामर्श बैठक में देशभर से वकीलों, शिक्षाविदों, समाजशास्त्रियों, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं, नीति-निर्माताओं एवं नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और विचार साझा किए।