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    Home»Top Story»चार साल तक चुप थे, अब गिना रहे हैं गड़बड़ियां
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    चार साल तक चुप थे, अब गिना रहे हैं गड़बड़ियां

    azad sipahiBy azad sipahiSeptember 16, 2018No Comments5 Mins Read
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    रांची। लोकतंत्र में जनता सब कुछ है। यह बात सभी जनप्रतिनिधि भी जानते हैं। चुनाव जीतने के बाद जनप्रतिनिधियों का सुर कुछ और रहता है और जब फिर उन्हें जनता की अदालत में जाने का वक्त आता है तो इनका सुर एकदम बदल जाता है। भाजपा के विधायकों और मंत्रियों को चार साल तक राज्य में सब कुछ ठीक दिख रहा था। अब चुनाव माथे पर है। फिर उसी जनता जनार्दन के पास जनप्रतिनिधियों को जाना है। अब उन्हें भ्रष्टाचार नजर आने लगा है। अभी दो दिनों पहले भाजपा के गढ़वा से विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी ने सार्वजनिक कार्यक्रमों में यह कहकर सनसनी फैला दी कि जिला में भ्रष्टाचार चरम पर है। उससे पहले नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने दिशा की बैठक में कहा था कि जांच अभियान के नाम पर पुलिस सिर्फ वसूली करती है। नगर निगम के अधिकारी गलतबयानी करते हैं। भाजपा के ही गुमला विधायक शिवशंकर उरांव ने राज्य की सबसे बड़ी पंचायत यानी विधानसभा में कहा था कि सरकारी योजनाओं की 45 प्रतिशत राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है। मंत्री सरयू राय तो शुरू से ही फेटा बांधकर बैठे हैं।

    बात शुरू करते हैं सत्येंद्र नाथ तिवारी से। विधानसभा में इनका प्रवेश झाविमो से हुआ। वर्ष 2014 का विधानसभा चुनाव आते ही इनका मोह झाविमो से भंग हो गया और बाबूलाल मरांडी को बाय-बाय कह कर ये भाजपा में शामिल हो गये। यह कहकर भाजपा में आये कि इस पार्टी की नीति अन्य पार्टियों से अच्छी है। भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते। अब फिर चुनाव में जाना है। जनता से वोट भी लेना है। कहते हैं कि जिला में भ्रष्टाचार चरम पर है। इस पर नकेल कसनी जरूरी है। इस समस्या के निदान के लिए सबको एक साथ आना होगा। उन्होंने कहा कि मेराल के पूर्व बीडीओ कुआं निर्माण के नाम पर लगभग एक करोड़ रुपये लेकर स्थानांतरित हो गये। इससे पहले भी उन्होंने विधानसभा में स्वास्थ्य विभाग में गड़बड़ी का मामला उठाया था। स्वास्थ्य मंत्री को चुनौती भी दी थी। स्वास्थ्य मंत्री ने तब कहा था कि इनके रिश्तेदार को काम नहीं मिला, इसलिए ऐसा कह रहे हैं। विधायक द्वारा भ्रष्टाचार की बात कहे जाने पर विपक्ष ने इन्हें आड़े हाथों लिया है। पूर्व विधायक गिरिनाथ सिंह ने कहा कि गढ़वा विधायक भ्रष्टाचार की गंगोत्री हैं और कहते हैं भ्रष्टाचार पर अंकुश लगायेंगे। उन्होंने कहा कि किसकी सरकार है और कौन लोग भ्रष्टाचार में संलिप्त हंै। गरीबों से आवास योजना में पैसों की वसूली की जा रही है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि गढ़वा विधायक 2009 में चुनाव जीतने के बाद 2010 तथा 2011 में कहां गये थे। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि वर्ष 2009 से लेकर 2018 तक विधायक कोटे से किये गये कार्य को सार्वजनिक करेंगे।

    नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने दिशा की बैठक में कहा था कि जांच अभियान के नाम पर पुलिस सिर्फ वसूली करती है। नगर निगम के अधिकारी गलतबयानी करते हैं। अब बात करते हैं नगर विकास मंत्री सीपी सिंह की। चार साल से नगर विकास विभाग के मंत्री हैं। चार वर्षों में विभाग में बहुत कुछ हुआ। वे चुप थे। अब दिशा की बैठक में खुलेआम कहा कि जांच के नाम पर पुलिस सिर्फ वसूली करती है। कहा कि नगर विकास विभाग ने राजधानी रांची को नरक बना दिया।
    इस विभाग ने सीवरेज-ड्रेनेज के नाम पर जो खेल किया, वह तीन साल तक वह देख नहीं सके। राजधानी के सभी इलाकों में सीवरेज-ड्रेनेज के नाम पर गड्ढा खुदवा कर छोड़ दिया गया। कुछ दिन पहले ही बनी नाली को तोड़ कर फिर से नाली बनायी गयी। ठेकेदारों की मनमानी इतनी बढ़ गयी कि इनकी पार्टी के राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने भी इस पर सवाल खड़े किये हैं। दिशा की बैठक में नगर विकास मंत्री के सामने ही उन्होंने सीवरेज-ड्रेनेज परियोजना में गड़बड़ी का मामला उठाया था।

    उन्होंने सीवरेज परियोजना के क्रियान्वयन में हुई गड़बड़ियों की जांच और जिम्मेवार लोगों पर कार्रवाई की मांग की थी। मजेदार बात यह है की इनकी मांगों का रांची के सांसद रामटहल चौधरी, हटिया विधायक नवीन जयसवाल के साथ साथ नगर विकास मंत्री ने भी समर्थन किया था। अब जनता कह रही है कि तीन साल पहले अगर मंत्री इन सब गड़बड़ियों को देखते, तो पैसे की बर्बादी बच जाती और लोगों की परेशानी भी। भाजपा से ही एक और विधायक हैं शिवशंकर उरांव। पहली बार विधायक बने हैं। इन्होंने तो विधानसभा में ही कहा था कि सरकारी योजनाओं की 45 प्रतिशत राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है। मंत्री सरयू राय तो फेटा बांधकर बिजली और सड़क के क्षेत्र में भ्रष्टाचार की बातें लगातार उठा रहे हैं।
    झारखंड के विधायक और कुछ मंत्रियों की विचित्र कहानी है। ये अपने लाभ के लिए कुछ भी कर सकते हैं। बड़ी सच्चाई यह भी है कि सीओ-बीडीओ के ट्रांसफर पोस्टिंग में ये एड़ी-चोटी का जोर लगा देते हैं। ताजा वाकया तमाड़ और नगड़ी सीओ से जुड़ा है। तमाड़ सीओ के ट्रांसफर को रोकवाने के लिए सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री और विधायक ने भी अपनी पूरी ताकत लगा दी थी, जबकि स्थानीय विधायक नहीं चाहते थे कि इसका ट्रांसफर रुके। नगड़ी के सीओ के ट्रांसफर को रोकवाने के लिए एक भाजपा विधायक ने पूरी ताकत लगा दी थी। चार दिनों तक सरकार पर दवाब बनाया और ट्रांसफर रुकवा कर ही दम लिया। अब आप समझ सकते हैं कि इन सीओ से जनता से क्या भला होनेवाला हो सकता है। विधायक यदि सीओ-बीडीओ का ट्रांसफर रोकवाने का काम करेगा तो भ्रष्टाचार पर अंकुश कैसे लगेगा।
    चुनाव सिर पर आते ही भ्रष्टाचार की बात करके ये विधायकों ने खुद को भी कठघरे में खड़ा कर लिया है। जनता कह रही है कि जब भ्रष्टाचार हो रहा था या हो रहा होता है, तो आप क्या कर रहे होते हैं। आपने क्यों समय रहते आवाज नहीं उठायी। अब आपको क्यों याद आ रही है!

     

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