राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सबसे पुराने और लम्बे समय से चले आ रहे सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने अब गठबन्धन से अलग होने का फैसला किया है। शिव सेना के बाद अकाली दल दूसरी पार्टी है जिसने एनडीए से नाता तोड़ा है। कृषि बिलों के विरोध में ही अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया था और 25 सितम्बर को अकाली दल ने अपनी प्रथम रैली और रोष प्रदर्शन केंद्र की सरकार के विरुद्ध राज्य भर में किया था।
चंडीगढ़ में शनिवार अकाली दल की कोर कमेटी की चार घंटे तक चली बैठक में ये फैसला लिया गया। बैठक पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की अध्यक्षता में हुई और उन्होंने ही मीडिया को इसकी जानकारी दी। पत्रकारों से बातचीत में पार्टी के वरिष्ठ नेता सिकंदर सिंह मलूका ने कहा कि अकाली दल को एनडीए में उपेक्षित किया जा रहा था और किसी निर्णय में शामिल नहीं किया जाता था। कृषि बिलों का मामला इनमे से एक था। पत्रकारों से बातचीत में पार्टी अध्यक्ष सुखबीर ने कहा कि कृषि पंजाब की जिंदगी है और ऐसा उन्होंने संसद में भी कहा था। परन्तु केंद्र सरकार तीन कृषि बिल लायी, जिसका असर सीधा 20 लाख किसानों और करीब 18 लाख खेत मजदूरों पर, 22 हज़ार आढ़तियों और लेबर पर पड़ेगा। राज्य के व्यापारी भी राज्य की कृषि पर आधारित है और केंद्र के बिल इन सभी पर आघात करते हैं।
उन्होंने कहा कि बिल लाने से पहले अकाली दल से इस बारे में विचार भी नहीं किया गया। केंद्र सरकार ने बिलों को संसद में जबरदस्ती पेश किया और पास भी करवाया। सुखबीर ने कहा कि उन्होंने इस बारे में अपने सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं से बैठकें की और पंजाब विरोधी बिलों के बाद उन्होंने एनडीए से अलग होने का निर्णय किया।
Share.

Comments are closed.

Exit mobile version