तमाम ऊहापोह, राजनीतिक दांव-पेंच, मान-मनुहार के बावजूद देश के आठ लाख से अधिक बच्चों को हमारे सिस्टम ने स्वास्थ्य संबंधी उस खतरे में झोंक दिया है, जिसे लेकर पिछले कुछ दिन से चिंता व्यक्त की जा रही थी। ये बच्चे एक सितंबर को इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश पाने के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा में शामिल होंगे। अपने घर से, अभिभावकों से मीलों दूर अंजान शहर में कोरोना महामारी के खतरे के बीच इन बच्चों के जेहन में एक ही सवाल उठ रहा होगा कि आखिर हमारे भविष्य के साथ यह खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है। हम अपनी भावी पीढ़ी को यह कैसा सिस्टम दिखा रहे हैं, जिसमें उनके लिए तनिक भी चिंता नहीं है। बीमारी की आशंकाओं के बीच उन्हें उस परीक्षा में बैठने को मजबूर किया गया है, जो न केवल उनके भविष्य के लिए, बल्कि पूरे देश के भविष्य की राह तय करेगा। इन बच्चों के लिए हम केवल ‘आॅल दि बेस्ट’ की कामना ही कर सकते हैं और यही कह सकते हैं कि सॉरी, हम आपके लिए कुछ नहीं कर सके। मंगलवार से शुरू हो रही परीक्षाओं में शामिल होनेवाले बच्चों की मानसिक स्थिति, उनके द्वारा झेली जा रही परेशानियों और परीक्षाओं के बाद की स्थिति पर आजाद सिपाही ब्यूरो की खास रिपोर्ट।
सॉरी बच्चों, हमने आपको जेइइ और नीट की परीक्षाओं में शामिल होने के लिए मजबूर कर ही दिया। आप कई साल से दिन-रात एक कर इन परीक्षाओं में सफल होने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन हमारी आकांक्षाओं और विज्ञान के घातक इस्तेमाल ने आपकी प्रतिभा के साथ आपकी हिम्मत की भी परीक्षा लेने की जिद ठान ली। हम आज भी आपको अपना भविष्य मानते हैं और हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि हमारा कल आपके हाथ में है।
आॅल दि बेस्ट बच्चों, हम इतना ही कह सकते हैं। अपने घर-परिवार से दूर, अभिभावकों से दूर कोरोना संक्रमण के खतरों के बीच आप जब परीक्षा केंद्र पर पहुंचेंगे, तो आपके मन में क्या चल रहा होगा, यह हमें अच्छी तरह से पता है। लेकिन हम मजबूर हैं। हमने आपको पाला-पोसा है। हम कतई नहीं चाहते हैं कि ऐसी कोई चीज आपके आसपास से भी गुजरे, जिससे आपको तनिक भी खतरा हो। लेकिन क्या करें, आपको खतरों से बचाने के लिए हमारे पास और कुछ भी नहीं है। इसलिए हम आपको यह खतरा उठाने के लिए अकेला छोड़ रहे हैं। आप हमारे भविष्य हैं और हमारी उम्मीदें आप पर टिकी हुई हैं। आप हमारी मजबूरी और सिस्टम की क्रूरता को याद रखियेगा।
सॉरी बच्चों, हम जानते हैं कि कोरोना महामारी और बाढ़ की वजह से लाखों बच्चों ने इन परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग की, जिसे अनसुना कर दिया गया है। हम जानते हैं कि आपको परीक्षाओं के आयोजन के मुद्दे पर राजनीति पसंद नहीं है, लेकिन हमने इस पर भी खूब राजनीति की। आज भी कर रहे हैं। सत्ता से लेकर विपक्ष तक इस पर राजनीति कर रहा है। फिर भी हम आपको यह नसीहत देने की जुर्रत कर रहे हैं कि परीक्षा हॉल में आप घबड़ाना मत। अपनी प्रतिभा और तैयारी का पूरा इस्तेमाल करना। यह परीक्षा आपका भविष्य तय करनेवाली है। इसलिए पूरी एकाग्रता से परीक्षा में शामिल होना जरूरी है।
बच्चों, आप जानते हैं कि हमारा सिस्टम कैसे काम करता है। हम जानते हैं कि आप हमें इस बात के लिए कोसेंगे कि हमने आपको कैसा सिस्टम सौंपा है, जो अपने भविष्य को ही खतरे में डालने से गुरेज नहीं करता। क्या करें, हम लाचार हैं। हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। हम तो आपका भविष्य गढ़ना चाहते हैं। हम नहीं जानते थे कि कोरोना वायरस हमारे भविष्य को ही इस तरह के गंभीर खतरे में डाल देगा। हमने अपनी ओर से भरपूर कोशिश की कि आप को इस कठिनाई में नहीं पड़ना पड़े, लेकिन हम फेल कर गये।
बच्चों, हमें इस बात का तनिक भी अफसोस नहीं है कि हम फेल कर गये हैं। हमें अफसोस इस बात का है कि हम अपने भविष्य के प्रति ऐसी लापरवाही बरत रहे हैं। अमेरिका के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक एडवर्ड फिलामोंट ने बरसों पहले कहा था कि बच्चों को तनावमुक्त रखने के लिए यदि उनके अभिभावकों को दुनिया भर का तनाव झेलना पड़े, तो भी यह फायदे का सौदा है। आपके किशोर मन पर महामारी के खतरों के बीच परीक्षा के आयोजन के इस तनाव का क्या असर होगा, यह हम बखूबी जानते हैं, लेकिन हम अब आपसे केवल गुजारिश ही कर सकते हैं कि अपना ख्याल रखना। हिम्मत से काम लेना और डरने की जरूरत नहीं है।
बच्चों, परीक्षा देने के बाद आप हमसे कई सवाल पूछेंगे, यह भी हम जानते हैं। हम यह भी जानते हैं कि उन सवालों का कोई जवाब हमारे पास नहीं होगा। हम आपसे आंख नहीं मिला सकेंगे। लेकिन फिर भी हम आपसे यही कहते हैं कि अब आपके पास सिवाय परीक्षा में शामिल होने के कोई दूसरा विकल्प नहीं है। हमारे लिए यह पीड़ादायक है। हमने अपनी क्षमता के अनुसार आपको कोरोना संक्रमण से बचाने का पूरा इंतजाम कर लिया है, लेकिन आपकी शत-प्रतिशत सुरक्षा की गारंटी लेने का दावा हम नहीं करते।
और इसके साथ ही सामाजिक -राजनीतिक कार्यकर्ताओं से हम अभिभावक निवेदन करते हैं कि हमने अपने बच्चों को आपके भरोसे पर ही अपने से दूर भेजा है। परीक्षा खत्म होने तक और इनके घर लौटने तक ये आपकी जिम्मेवारी हैं। आप अपने प्रभाव, अपनी पहुंच और अपनी सेवा भावना का भरपूर इस्तेमाल करेंगे, हम यही उम्मीद आपसे करते हैं। यह परीक्षा आपके लिए भी एक कठिन चुनौती है। इसलिए इससे पार पाना आपके लिए भी जरूरी है। परीक्षा में शामिल होनेवाला एक भी बच्चा यदि संक्रमित हो गया, तो यह आपकी विफलता होगी। हमारी उम्मीद पर आप खरे उतरें, यही हमारी कामना है।
तो आॅल दि बेस्ट बच्चों, आप परीक्षा में शामिल हों, इस कठिन चुनौती से सफल होकर बाहर आयें और हमारी उम्मीदों को नयी ऊंचाइयां प्रदान करें, यही हमारी कामना है। थैंक यू बच्चों, वी आर प्राउड आॅफ यू। चुनौती में आप ऐसा कर जाइये, जो इतिहास बने।