केंद्र सरकार ने कहा है कि पैरोल या फरलों कैदियों का पूर्ण अधिकार नहीं है। कानून में पारिभाषित है कि इसकी पात्रता कौन रखता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों को निर्देश दिया कि आतंकवाद या अन्य गंभीर अपराधों में लिप्त लोगों को जेल से बाहर जाने की इजाजत नहीं देनी चाहिए।

गंभीर अपराधियों के लिए यह पूर्ण अधिकार नहीं
गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे पत्र में कहा है कि पैरोल या फरलों का इस्तेमाल नियमित तौर पर नहीं हो सकता। बल्कि इस पर अधिकारियों और बर्ताव संबंधी विशेषज्ञ समिति को सभी पहलुओं का ध्यान रखते हुए फैसला लेना चाहिए। खासकर गंभीर अपराध और दुष्कर्म के मामले में।
दरअसल, मंत्रालय को यह निर्देश इसलिए जारी करना पड़ा क्योंकि देश विभिन्न हिस्सों से ऐसी खबरें आ रही थी कि कोरोना महामारी के कारण गंभीर अपराधों के दोषियों को रिहा किया जा रहा है। हाल ही में पंजाब का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें एक लड़की द्वारा दो झपटमारों का बहादुरी से मुकाबला करते हुए दिखाया गया। वे दोनों अपराधी हाल ही में जेल से रिहा हुए थे।

 

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