भारत के बारे में कहा जाता है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र तो है, लेकिन यहां कोई भी बड़ा काम बिना विवाद के पूरा नहीं होता। देश का कोई भी फैसला या कोई भी काम के साथ विवादों का चोली-दामन का साथ होता है। आजादी के बाद से लेकर अब तक ऐसा कोई काम देश में नहीं हुआ, जिसके पूरे होने के रास्ते में विवाद न उठा हो। ताजा मामला अयोध्या में राम मंदिर का है। 130 करोड़ भारतीयों की आस्था के प्रतीक बन चुके अयोध्या के इस मंदिर निर्माण के रास्ते की सभी बाधाएं तो दूर कर ली गयी हैं, लेकिन अब राजस्थान सरकार ने इसके लिए जरूरी लाल पत्थर के खनन पर रोक लगा दी है। इतना ही नहीं, मंदिर के लिए ले जाये जा रहे पत्थर लदे ट्रकों को भी जब्त कर लिया गया है। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार की इस कार्रवाई को कानूनी रूप से चुनौती नहीं दी जा सकती है, लेकिन नैतिक और भावनात्मक रूप से यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है। अयोध्या में राम मंदिर पिछले कई सालों से राजनीतिक मुद्दा रहा है और राजस्थान सरकार की कार्रवाई के बाद जो आवाजें उठने लगी हैं, उनकी प्रतिध्वनि भी कुछ इसी तरह की है कि कांग्रेस सरकार का यह फैसला मंदिर विरोधी है। अयोध्या में मंदिर के लिए पत्थरों की आपूर्ति पर रोक लगाने के कारण और इसके संभावित परिणामों पर आजाद सिपाही ब्यूरो की खास रिपोर्ट।
मंगलवार 15 सितंबर की सुबह राजधानी के लालपुर चौक के पास स्थित हनुमान मंदिर के बगल में कुछ लोग जमा थे। वे बेहद गुस्से में थे और कांग्रेस को जी भर कर कोस रहे थे। एक युवक कह रहा था कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण में कांग्रेस ने एक बार फिर बाधा पैदा कर दी है। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत पहले से ही संकट में थे। अब उन्होंने भगवान श्रीराम के काम को रोका है, तो अब उन्हें कोई नहीं बचा सकता है। दरअसल ये लोग उस खबर से नाराज थे, जिसके मुताबिक राजस्थान सरकार ने अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए ले जाये जानेवाले लाल पत्थरों के खनन पर रोक लगा दी है। ये लोग इस फैसले को राजनीति से प्रेरित बता रहे थे और कांग्रेस का विरोध कर रहे थे।
दरअसल यह सारा विवाद राजस्थान सरकार द्वारा बंशी पहाड़पुर के प्रसिद्ध लाल पत्थरों के खनन पर रोक लगाये जाने के बाद शुरू हुआ है। राजस्थान का बंशी पहाड़पुर दुनिया भर में लाल पत्थरों के लिए प्रसिद्ध है। इस पत्थर की खासियत यह होती है कि यह हजारों साल तक खराब नहीं होता और इस पर जितना पानी पड़ता है, यह उतना ही चमकीला होता जाता है। दिल्ली का लाल किला इसी पत्थर से बना हुआ है। राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित बंशी पहाड़पुर की लाल पत्थर की खदानों से हर साल अरबों रुपये का कारोबार होता है, लेकिन राजस्थान सरकार को इससे कोई लाभ नहीं होता, क्योंकि उसने यहां किसी को भी खनन पट्टा या लीज नहीं दिया है। इस तरह लाल पत्थर का पूरा कारोबार ही अवैध होता है।
अब अशोक गहलोत सरकार ने इस अवैध कारोबार के खिलाफ सख्ती बरतनी शुरू कर दी है और लाल पत्थर के खनन पर रोक लगा दी है। इसका पहला असर अयोध्या में मंदिर निर्माण पर पड़ा है, क्योंकि इस मंदिर में केवल इसी लाल पत्थर का इस्तेमाल किये जाने की योजना बनायी गयी है। ऐसे में यदि राजस्थान सरकार इन पत्थरों के खनन की अनुमति नहीं देती है, तो इसका सीधा असर अयोध्या में मंदिर निर्माण पर पड़ेगा।
राजस्थान सरकार और उसके समर्थकों का कहना है कि जब लाल पत्थरों के खनन की अनुमति ही नहीं दी गयी है, तो फिर अयोध्या में बननेवाले मंदिर में अवैध पत्थरों के इस्तेमाल का फैसला क्यों किया गया। सवाल यह भी पूछा जा रहा है कि क्या भगवान श्रीराम का मंदिर अवैध पत्थरों से बनाना सही है। गहलोत सरकार का दावा है कि मंदिर निर्माण ट्रस्ट को पहले से ही इस बात की जानकारी थी कि बंशी पहाड़पुर से अब तक जो भी पत्थर अयोध्या गये हैं, वे सब अवैध हैं। इतना ही नहीं, उन्हें यह भी जानकारी थी कि लाल पत्थरों के खनन की अनुमति किसी को नहीं दी गयी है। राजस्थान सरकार का यह भी कहना है कि उसने एक खनन कंपनी को यहां खनन का लाइसेंस दिया, लेकिन उसे पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिली। इसलिए उस लाइसेंस को रद्द कर दिया गया। अब उसके हाथ में कुछ नहीं है।
दूसरी तरफ मंदिर समर्थक सवाल उठा रहे हैं कि जब खनन करने की इजाजत सरकार की ओर से इस पहाड़ में किसी को भी प्रदान नहीं की गयी है, तो फिर आखिरकार यहां से खनन क्यों होता रहा? बिना पुलिस, खनिज और वन विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत के तो यहां अवैध खनन के कारोबार का पनपना संभव नहीं था। अयोध्या में बन रहे राम मंदिर निर्माण के लिए पत्थर काफी समय से जा रहा है। अभी इस पर रोक उचित नहीं है। मंदिर समर्थक इसे कांग्रेस सरकार का हिंदू विरोधी फैसला बता रहे हैं।
असली मामला चाहे जो भी हो, इतना तय है कि राजस्थान सरकार की इस कार्रवाई पर विवाद गहरायेगा। अयोध्या के संतों ने तो पहले ही राजस्थान सरकार के फैसले के खिलाफ आवाज उठा दी है। अब दूसरे संगठन भी इस मामले को तूल देने की तैयारी में हैं। राजनीतिक रूप से अयोध्या में मंदिर निर्माण बेहद संवेदनशील मामला है। इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि यह मामला राजनीतिक रंग भी पकड़े और इसे भाजपा बनाम कांग्रेस बनाया जाये। भविष्य में क्या होगा, इसका आकलन अभी नहीं किया जा सकता है, लेकिन इस मुद्दे का जितनी जल्दी समाधान निकाला जाये, उतना ही अच्छा होगा। राजस्थान सरकार के लाल पत्थरों के खनन पर रोक लगाने के फैसले को कानूनी रूप से तो चुनौती नहीं दी जा सकती है, लेकिन जहां तक आस्था और नैतिकता का सवाल है, तो उस नजरिये से उसका फैसला जरूर गलत है। ऐसे में एक विकल्प है और वह यह कि अशोक गहलोत सरकार अयोध्या में श्रीराम मंदिर के लिए जरूरी लाल पत्थर के खनन की अनुमति दे दे, ताकि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर समय पर बन कर तैयार हो जाये।