वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक आज लखनऊ में होगी। इस मीटिंग का प्रमुख एजेंडा पेट्रोल, डीजल और अन्य पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को GST के दायरे में लाने के तरीके पर विचार करना है। टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना के कारण स्थिति के मद्देनजर पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को GST के तहत लाना केंद्र सरकार और राज्यों के लिए बहुत मुश्किल फैसला होगा।
पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स, लिकर और इलेक्ट्रिसिटी जैसे कुछ विशेष आइटम्स GST में शामिल नहीं हैं क्योंकि इनसे केंद्र और राज्यों को बड़ी मात्रा में रेवेन्यू मिलता है। GST काउंसिल की मीटिंग में पेट्रोल, डीजल और अन्य पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को GST के तहत लाने पर विचार किया जा सकता है। हालांकि, ऐसा होने पर केंद्र और राज्यों को अन्य प्रोडक्ट्स पर टैक्स को लेकर बड़े समझौते करने होंगे।
अगर पेट्रोलियम को GST में शामिल किया जाता है तो केंद्र और राज्यों के टैक्स मर्ज हो जाएंगे और देश भर में इनकी कीमतें समान हो जाएंगी। इससे पेट्रोल और डीजल की कीमतें काफी कम हो सकती हैं। पिछले कुछ वर्षों से फ्यूल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं और इनडायरेक्ट टैक्स के अधिक रेट इसका बड़ा कारण हैं।
राज्यों की ओर से पेट्रोल और डीजल पर VAT लगाया जाता है, जो केंद्र सरकार की ओर से एक्साइज ड्यूटी लगाए जाने के बाद वैल्यू पर होता है। यह टैक्स पर टैक्स लगने की स्थिति है जिससे कीमत बढ़ जाती है।