आजाद सिपाही संवाददाता
नयी दिल्ली। कांग्रेस में अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए शुक्रवार को आखिरी दिन तीन नामांकन हुए। पहला नामांकन शशि थरूर, दूसरा नामांकन झारखंड के केएन त्रिपाठी और तीसरा नॉमिनेशन मल्लिकार्जुन खड़गे ने किया। इसके साथ ही तय हो गया है कि अगला अध्यक्ष गैर-गांधी ही होगा। सोनिया और राहुल की पसंद मल्लिकार्जुन खड़गे हैं। यह नामांकन के समय ही साफ हो गया। क्योंकि खड़गे के प्रस्तावकों की लिस्ट में 30 बड़े नेताओं के नाम हैं। इनमें जी-23 के बड़े चेहरे आनंद शर्मा और मनीष तिवारी भी शामिल हैं। वहीं, थरूर और त्रिपाठी के प्रस्तावकों में इक्का-दुक्का नेता थे।
कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में नामांकन के आखिरी दिन गांधी परिवार के भरोसेमंद मल्लिकार्जुन खड़गे ने वाइल्ड कार्ड एंट्री मारी। गुरुवार देर रात तक सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी के बीच नये अध्यक्ष को लेकर मीटिंग हुई, जिसके बाद शुक्रवार सुबह खड़गे को 10 जनपथ पर बुलाया गया था। मौजूदा स्थिति में हाइकमान और पार्टी के टॉप लीडर्स के सपोर्ट से खड़गे का अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है।
खड़गे जीते तो कांग्रेस के दूसरे दलित अध्यक्ष होंगे
गांधी परिवार के बैकडोर सपोर्ट की वजह से खड़गे का कांग्रेस अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है। सब कुछ सही रहा तो मजदूर आंदोलन से करियर की शुरूआत करने वाले खड़गे देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की कमान संभाल सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो खड़गे बाबू जगजीवन राम के बाद दूसरे दलित अध्यक्ष बनेंगे। जगजीवन राम 1970-71 में कांग्रेस के अध्यक्ष थे। खड़गे 50 साल से ज्यादा समय से पॉलिटिक्स में सक्रिय हैं। उन्हें 1969 में कर्नाटक के गुलबर्गा शहर अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली थी। खड़गे 1972 में पहली बार विधायक बने। इसके बाद वे 2008 तक लगातार विधायक चुने जाते रहे। साल 2009 में पार्टी ने उन्हें गुलबर्गा लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया। इसके बाद वह लोकसभा पहुंचे। वह लगातार दो बार 2009 और 2014 में सांसद बने। खड़गे अपने राजनीतिक करियर में नौ बार विधायक रह चुके हैं। 2014 के नरेंद्र मोदी लहर में पार्टी के कई दिग्गज नेता चुनाव हार गये। ऐसे में कर्नाटक के गुलबर्ग से आने वाले खड़गे ने अपनी सीट बचा ली। कांग्रेस ने लोकसभा में उन्हें पार्टी का नेता बनाया। हालांकि 2019 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन जल्द ही राज्यसभा के जरिए खड़गे ने सदन में एंट्री कर ली। बाद में पार्टी ने गुलाम नबी को हटाकर खड़गे को राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया था। खड़गे सदन में राहुल के मुद्दे रफेल या नोटबंदी का मामला हो या कोई अन्य पूरा साथ दिया। इतना ही नहीं, जुलाई महीने में जब प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने सोनिया-राहुल को पूछताछ के लिए दफ्तर बुलाया था, उस वक्त संसद में विरोध का मोर्चा खड़गे ने ही संभाला था। राजनीतिक करियर में खड़गे का नाम दो बड़े विवादों में आ चुका है। साल 2000 में कन्नड़ सुपरस्टार डॉ. राजकुमार का चंदन तस्कर वीरप्पन ने अपहरण कर लिया था। उस वक्त खड़गे प्रदेश के गृह मंत्री थे, जिसके बाद विपक्ष ने उनकी भूमिका पर सवाल उठाया। वहीं, इसी साल नेशनल हेराल्ड केस में प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने उनसे पूछताछ की थी। हेराल्ड केस में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। हालांकि अब तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।